छत्तीसगढ़रायपुर

Navami Shradh : नवमी श्राद्ध आज, नोट कर लें श्राद्ध- विधि और सामग्री की पूरी लिस्ट

रायपुर | पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध मृत्यु की तिथि के अनुसार किया जाता है लेकिन तर्पण प्रतिदिन करना चाहिए। गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ पक्ष में आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से आश्विन अमावस्या तक अपने पूर्वजों का जल, तिल और फूल से तर्पण करना चाहिए। पितृपक्ष की नवमी तिथि को माता के श्राद्ध के लिए उत्तम माना गया है।

पितृपक्ष की नवमी माता के श्राद्ध के लिए पुण्यदायी है। काठियावाड़ का सिद्धपुर स्थान मातृ गया के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस पुण्यक्षेत्र में माता का श्राद्ध करने से पुत्र अपने मातृ ऋण से सदा के लिये मुक्त हो जाता है।

नवमी श्राद्ध विधि
श्राद्ध में गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ और खंड मिश्रित जल की जलांजलि देकर पितृ पूजन करें। पितृगण के निमित घी का दीप जलाएं, चंदन धूप करें, सफेद फूल, चंदन, सफेद तिल और तुलसी दल अर्पित करें। चावल के आटे के पिंड समर्पित करें। फिर उनके नाम का नैवेद्य रखें।

कुशा के आसन पर बैठाकर पितृ के निमित भगवान विष्णु के जगन्नाथाय स्वरूप का ध्यान करते हुए गीता के छठे आध्याय का पाठ करे। इसके उपरांत चावल की खीर, पूड़ी सब्जी, कलाकंद, सफेद फल, लौंग-ईलायची और मिश्री अर्पित करें। भोजन के बाद ब्राह्मणों को सफेद वस्त्र, चावल, शक्कर और दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।

विष्णु पुराण में कहा गया है कि श्रद्धा और भक्ति से किए गए श्राद्ध से पितरों के साथ ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, वसु, वायु, पितृगण, पक्षी, मनुष्य, पशु, सरीसृप, ऋषिगण तथा अन्य समस्त मृत प्राणी तृप्त होते हैं। जिस तिथि को माता-पिता की मृत्यु हुई हो उस दिन उनके नाम से अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button