छत्तीसगढ़

पैरा दान को दर किनार करते हुए किसान जला रहे हैं पराली 

 तिल्दा नेवरा। तिल्दा नेवरा के आसपास ग्रामीण अंचलों में धान का कटाई जोरों पर है, अधिकतर किसान मशीन से धान की कटाई करते हैं मशीन से कटाई करने के बाद पराली को खेत में जला दिया जाता है जबकि सरकार की मंशा है कि पराली को खेत में न जला कर दान करें या कोई और अन्य उपाय करें।

पराली जलाने पर क्यों मजबूर हैं किसान?

छत्तीसगढ़ में खेत में किसानों के पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया है।

किसानों का कहना है कि जो काम माचिस की एक तीली से होता हो उसके लिए हम पैसा क्यों लगाएं? तो दूसरी ओर पर्यावरणविद और सरकार कह रहे हैं कि किसानों के किए की सजा प्रदूषण आम आदमी क्यों भुगतें? जबकि केंद्र, दिल्ली की सरकारें भी इस मसले पर ब्लेमगेम खेल रही हैं. पिछले कई साल से इस बात पर बहस हो रही है कि जलाए बिना पराली को कैसे नष्ट किया जाए. लेकिन यह सब बहस से आगे जमीन पर नहीं उतर रहा है तो इसके पीछे कई वजहें भी हैं.

किसान का कहना है कि पराली की जड़ काटने के काम को जब तक मनरेगा के तहत नहीं लाया जाएगा, इसका समाधान नहीं हो सकता. क्योंकि तंगहाल जिंदगी जी रहे किसान को कोई काम अगर फ्री में करने को मिलेगा तो उसके लिए वो पैसा नहीं खर्च करेगा. सरकार को यदि वास्तव में पराली जलने से रोकना है तो डंडे से काम लेना बंद करे. किसान संगठनों को विश्वास में लेकर किसानों की काउंसिलिंग करवाए और कोशिश हो कि पराली को नष्ट करने का काम सरकारी खर्चे पर हो।

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