जांजगीर चांपा

यूरोप, साइबेरिया, रूस, मंगोलिया एवं अन्य ठंडे देशों से 40 प्रकार की प्रजातियों के पक्षियां पहुंचे छत्तीसगढ

जांजगीर। प्रवास किसी को भी पसंद नहीं होता, सबको अपना मूल आवास ही पसंद होता है, लेकिन मूल आवास मौसम अनुकूल नहीं होने, खाने का आहार नहीं मिलने के कारण प्रवास करना पड़ता है। यूरोप, साइबेरिया, रूस, मंगोलिया एवं अन्य ठंडे देशों में अक्टूबर माह से ही बर्फबारी शुरू होने, बर्फ की चादर ढकने से पक्षियों को अत्यधिक ठंड के कारण भी उनका जीवन यापन कठिन हो जाता है। ऐसे में पक्षी भारत आते हैं। खासकर जांजगीर जिले के कोटमीसोनार में इनका जमावड़ा लगता है। 4 हज़ार किलोमीटर की दूरी सेंट्रल एशियन फ्लाई अवे के माध्यम से प्रवासी पक्षी यूरोप से भारत होते हुए अफ्रीका तक पहुंचते हैं।

भारत देश में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है। अक्टूबर से मार्च तक 6 माह तक प्रवासी पक्षी भारत में प्रवास करने के पश्चात अपने देश वापस लौट जाते हैं। ऐसे में जांजगीर जिले के ग्राम कोटमीसोनार में स्थित क्रोकोडाइल पार्क में पार्क के अंदर स्थिर रूप से पानी का जमाव, पार्क के अंदर हरे भरे वृक्ष , प्रवासी पक्षियों को भोजन के लिए मछली, छोटे-छोटे कीट पतंग एवं अन्य आहार उपलब्ध होने के कारण यहां बड़ी संख्या में पक्षी आते हैं।

यहां यूरोप रसिया, साइबेरिया एवं अन्य ठंड प्रदेशों से लगभग 4 हज़ार किलोमीटर की दूरी तय कर प्रवासी पक्षी ग्रेट कॉमोरेंट, नॉर्थन पिंटल, यूरेशियन हूपो, ओरिएंटल डार्टर, ग्रीनिश वार्बलर, ब्लैक रेडस्टार्ट, लेसर वाइटथ्रोट, यूरेशियन टील, ग्रीन वार्बलर, वेस्टर्न येलो वंगटेल सहित 40 प्रकार के प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों का प्रवास कोटमीसोनार में स्थित क्रोकोडाइल पार्क में होता है।

49 हेक्टेयर में फैले हुए क्रोकोडाइल पार्क में बड़ी संख्या में विदेशों से आकर प्रवासी पक्षियों के प्रवास करने से राज्य शासन एवं वन विभाग द्वारा प्रवासी पक्षियों के लिए सुविधाओं का विस्तार करने के साथ-साथ क्रोकोडाइल पार्क को छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम पक्षी अभयारण्य के रूप में भी नई पहचान मिल सकती है। पक्षी वैज्ञानिक रवि नायडू ने बताया कि हम अपने आवागमन के लिए हाईवे का उपयोग करते हैं।

इसी तरह यूरोप साइबेरिया, रसिया , पोलेंड, कजाकिस्तान मंगोलिया एवं अन्य सर्द देशों में ठंड के मौसम में बर्फ जमने के साथ-साथ पक्षियों के अनुकूल वातावरण नहीं होने से प्रवासी पक्षी सेंट्रल एशियन फ्लाई वे के रास्ते यूरोप से होते हुए अफ्रीका तक का सफर तय करते हैं। भारत देश रास्ते में होने से लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षी भारत देश में आते हैं। नायडू ने बताया क्रोकोडाइल पार्क में पानी के साथ-साथ मगरमच्छों के लिए बनाए गए टापू, हरे भरे पेड़ एवं वातावरण अनुकूल होने से वर्तमान में 40 प्रकार से अधिक प्रजातियों वाले प्रवासी पक्षियों का निवास है।

हम बोलचाल की भाषा में प्रवासी पक्षियों को साइबेरियन पक्षी बोल देते हैं। प्रवासी पक्षी कई देशों से आते हैं, भारत में 72 पक्षी अभयारण्य है। क्रोकोडाइल पार्क में प्रवासी पक्षियों के अनुकूल वातावरण होने से छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम पक्षी अभयारण्य के रूप में क्रोकोडाइल पार्क को विकसित किया जा सकता है।

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