छत्तीसगढ़रायपुर

IAS नीलकंठ जल्द छोड़ सकते नौकरी,,लड़ सकते हैं विधानसभा चुनाव

रायपुर । IAS नीलकंठ जल्द नौकरी छोड़ सकते हैं। खबर है कि IAS नीलकंठ टेकाम ने स्वैच्छिक सेवानिवृति के लिए आवेदन कर दिया है। नीलकंठ टेकाम की सेवा अभी चार साल बची है, लेकिन उससे पहले ही वो नौकरी छोड़ना चाहते हैं। टेकाम 2008 बैच के प्रमोटी IAS अफसर हैं। राज्य सरकार की हरी झंडी मिलते ही नीलकंठ टेकाम शासकीय बंधनों से आजाद हो जायेंगे। चर्चा है कि नौकरी छोड़कर नीलकंठ टेकाम अपनी सियासी पारी शुरू कर सकते हैं। हालांकि ये अभी साफ नहीं हो पाया है कि वो वीआरएस लेकर किसी पार्टी को ज्वाइन करेंगे।

संचालक कोष एवं लेखा नीलकंठ टेकाम ने राज्य सरकार को भेजे अपने VRS के आवेदन में कहा है कि वो निजी कारणों से अपनी शासकीय सेवा को आगे जारी नहीं रखना चाहते हैं। तीन महीने की नोटिस के साथ IAS टेकाम ने राज्य सरकार से वीआरएस के लिए अनुमति मांगी है।

पिछली चुनाव में IAS ओपी चौधरी ने भी इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था, लेकिन खरसिया विधानसभा से उन्हें उमेश पटेल के हाथों हार झेलनी पड़ी थी। चर्चा यही है कि नीलकंठ टेकाम भी वीआऱएस के बाद भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं। हालांकि साल 2018 में भी नीलकंठ टेकाम के चुनाव लड़ने की खबरें आयी थी, लेकिन उस वक्त भाजपा की तरफ से साफ संकेत नहीं मिलने की वजह से वो इस्तीफा देते-देते रह गये। लेकिन इस बार उन्होंने पहले से ही वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया है।

2018 में भी इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने की थी खबर

IAS नीलकंठ टेकाम के बीजेपी प्रवेश और कोंटा या कोंडागांव विधानसभा सीट से अपना भाग्य आजमाने की खबर है। संयुक्त मध्य प्रदेश के दौरान भी इस नौकरशाह ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उस वक्त वे मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में एसडीएम के पद पर तैनात थे। सेवा में रहने के दौरान उन्होंने हजारों लोगों के साथ जुलुस की शक्ल में कलेक्टर दफ्तर पहुंचकर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया था। हालांकि सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया, नतीजतन वे नौकरी में बने रहे। उस दौरान उन्होंने टिकट पाने के लिए कांग्रेस से जोड़तोड़ की थी। टेकाम के इस फैसले से कांग्रेस की राजनीति में खलबली मच गई थी, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कुछ आदिवासी नेताओं ने हस्तक्षेप कर उनका नामांकन वापस करवाया था। कलेक्टर साहब कांग्रेस और बीजेपी दोनों में खासे लोकप्रिय हैं। आदिवासी समुदाय का होने के नाते कई आदिवासी संगठन उनके सीधे संपर्क में हैं। लिहाजा वो विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाने के लिए मौके की तलाश में हैं।

छात्र राजनीति में भी रहे हैं सक्रिय

नीलकंठ टेकाम ने बस्तर के कोंटा या फिर कोंडागांव के आलावा कांकेर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। नीलकंठ टेकाम कांकेर जिले के अंतागढ़ के हीरामी गांव के रहने वाले हैं. वे पढाई-लिखाई के दौरान छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रहे हैं। कांकेर के सरकारी कॉलेज में वे छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे. आदिवासी होने के कारण उनका बस्तर इलाके में खासा प्रभाव है। भाजपा कोशिश में है कि एक और आईएएस अधिकारी को राजनीति के मैदान में उतारा जाए। हालांकि नीलकंठ टेकाम ने खुद इस मामले को लेकर अपना कोई पक्ष नहीं रखा है। जाहिर है उनके इस रुख से उनके राजनीति में प्रवेश की अटकलें सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बनी हुई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button