
प्राचार्यों की प्रतिनियुक्ति और वेतन आहरण पर राज्य शासन का बड़ा निर्णय, पढ़िये शिक्षा विभाग का आदेश
रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन ने स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी व हिंदी माध्यम विद्यालयों में प्राचार्यों की पदस्थापना और वेतन आहरण से उत्पन्न हो रही प्रशासनिक समस्याओं के समाधान हेतु एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। शासन द्वारा गठित समिति के अभिमत के आधार पर शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिन विद्यालयों में नियमित प्राचार्यों की पदस्थापना हो चुकी है, वहाँ प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत प्रभारी प्राचार्यों (व्याख्याता संवर्ग) को तत्काल प्रभाव से प्रतिनियुक्ति से मुक्त कर उनके मूल पदस्थापन स्थान—विशेषकर एकल शिक्षकीय शालाओं—में वापस भेजा जाएगा।
समिति के अभिमत के बाद शासन की कार्यवाही
स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय परियोजना के विस्तार और व्यवस्थापन के दौरान कई विद्यालयों में प्राचार्य उपलब्ध न होने पर व्याख्याता संवर्ग के अधिकारियों को प्रभारी प्राचार्य के रूप में प्रतिनियुक्ति पर लगाया गया था। बाद में जब पदोन्नति और नियमित भर्ती के माध्यम से प्राचार्य उपलब्ध हुए, तब प्रतिनियुक्त प्राचार्यों की भूमिका और वेतन निर्धारण को लेकर जटिलताएँ उत्पन्न होने लगीं।
इन्हीं समस्याओं के निराकरण के लिए राज्य शासन ने एक उच्चस्तरीय समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया कि:
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नियमित प्राचार्यों के पदस्थ होने के बाद भी प्रतिनियुक्ति पर प्रभारी प्राचार्यों का बने रहना प्रशासनिक दृष्टि से उचित नहीं है।
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प्रभारी प्राचार्यों का वेतन आहरण और सेवा पुस्तिका प्रबंधन कठिन हो रहा है।
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स्वामी आत्मानंद विद्यालयों के संचालन में दोहरी जिम्मेदारियों के कारण शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
प्रतिनियुक्ति समाप्त करने के निर्देश
समिति की अनुशंसा पर राज्य शासन ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि:
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जिन विद्यालयों में नियमित प्राचार्य पदस्थ हो गए हैं, वहाँ व्याख्याता संवर्ग से प्रतिनियुक्त प्रभारी प्राचार्यों की प्रतिनियुक्ति तत्काल समाप्त की जाए।
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प्रतिनियुक्त अधिकारियों को आवश्यकता अनुसार एकल शिक्षकीय या उनके मूल विद्यालयों में पदस्थ किया जाए।
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इससे विद्यालयों में प्रशासनिक स्थिरता और शैक्षणिक दायित्वों का प्रभावी निर्वहन सुनिश्चित हो सकेगा।
नियमित प्राचार्यों के वेतन आहरण हेतु आदेश में संशोधन
वेतन आहरण से संबंधित गंभीर समस्या पर भी शासन ने ध्यान दिया है। कई जिलों से यह शिकायत प्राप्त हुई थी कि नियमित प्राचार्यों के वेतन प्रकरण में ‘‘प्रतिनियुक्ति’’ शब्द आने के कारण वेतन बिलों के स्वीकृत होने में बाधाएं आ रही थीं।
इस पर शासन ने कहा है कि:
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वेतन संबंधी आदेशों में ‘‘प्रतिनियुक्ति पर लिया जाता है’’ प्रकार के उल्लेख को संशोधित किया जाएगा।
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नियमित रूप से पदस्थ प्राचार्यों के वेतन आहरण में अब कोई तकनीकी या प्रशासनिक अड़चन नहीं आएगी।




