
- ओम हॉस्पिटल की करतूतों का खुलासा: मरीज की मौत पर सवाल, सत्ता-संगठन के दम पर दबाव
- राजधानी रायपुर में एक और स्वास्थ्य माफिया का खेल उजागर, परिजनों ने किया बड़ा खुलासा
रायपुर। राजधानी का ओम हॉस्पिटल इन दिनों गंभीर सवालों के घेरे में है। 11 अगस्त को ऑपरेशन के दौरान हुई एक महिला की मौत ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोली है बल्कि अस्पताल प्रबंधन की दबंगई और राजनीतिक संरक्षण के राज़ भी सामने ला दिए हैं।
मृतका के परिजनों का कहना है कि महिला पूरी तरह स्वस्थ और हंसते-बोलते व्हीलचेयर पर अस्पताल पहुंची थीं। लेकिन ऑपरेशन के बाद अचानक उनकी मौत हो गई। एम्स से मिली प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसे “अननेचुरल डेथ” बताया गया है, साथ ही पसलियां टूटने और कई गंभीर चोटों का भी जिक्र है। परिजनों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि अस्पताल प्रबंधन ने धमकाकर समझौते का दबाव बनाया। यहां तक कहा गया – “हमारे पास भाजपा की सत्ता का साया है, हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा। आप समझौता कर लीजिए, तभी आपकी भलाई है।” इतना ही नहीं, इलाज का पूरा बिल और स्मार्ट कार्ड का हिसाब आज तक परिजनों को नहीं दिया गया। अलग-अलग रकम नकद ली गई और बाद में इसे स्टाफ की गलती बताकर टाल दिया गया।
लंबी जद्दोजहद के बाद जब परिजनों ने रायपुर एसपी और कलेक्टर से मुलाकात कर शिकायत दर्ज कराई, तब जाकर डीडी नगर थाने में तीन पीड़ितों के बयान दर्ज हुए। इन बयानों में साफ कहा गया है कि अस्पताल प्रबंधन राजनीतिक दबाव का इस्तेमाल कर मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है।परिजनों ने सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि अस्पताल मैनेजमेंट भाजपा के वरिष्ठ नेता और रायपुर लोकसभा सांसद बृजमोहन अग्रवाल का नाम लेकर प्रभाव दिखाता है।
राजधानी के इस हाई-प्रोफाइल केस ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या रायपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था पर कारोबारियों और नेताओं का गठजोड़ हावी है? अब देखना होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में कितनी पारदर्शिता से कार्रवाई करते हैं या फिर यह भी किसी दूसरी फाइल की तरह दबा दिया जाएगा।