
शीतला व अन्नपूर्णा माता मंदिरों के लोकापर्ण पर 26 को कलशयात्रा
रवि तिवारी,
तिल्दा। ग्राम तरपोंगी में लगभग 200 साल पुराना शीतला माता, अन्नपूर्णा माता की मंदिर का जीर्णोधार किया गया है। 26 नवम्बर दिन बुधवार को नवनिर्मित मंदिर का लोकार्पण किया जाएगा। इसके पहले सुबह 9 बजे भव्य कलश यात्रा निकाली जाएगी। सुबह 11 बजे हवन पूजन व दोपहर 2 बजे महाप्रसादी व महाभंडारा का आयोजन रखा गया है।
शीतला मंदिर का इतिहास : जनश्रुति के अनुसार आज से 200 वर्ष पूर्व ग्राम तरपोंगी गांव के पूर्वज कुल्हाड़ीडीह कोल्हान नाला के समीप निवास करते थे। तब यह गांव भारी जंगल से भरा था। एक समय किसी किसान का भैसा गुम हो गया था जिसे हमारे पूर्वज ढूंढते ढूंढते इसी जंगल में आए थे तब शीतला मंदिर के समीप एक छोटा सा तालाब नुमा जिसे डबरी कहते हैं, भैंसा डूबा हुआ मिला। उसे निकालने के लिए किसान डबरी में उतरे तब दोनों देवियां जो पानी में डूबी थी जिसे हम शीतला माता एवं अन्नपूर्णा माता के नाम से जानते हैं उसे बाहर निकाल कर एक चबूतरे में रखा गया था। धीरे-धीरे ग्रामीणों में श्रद्धा जागी गांव में छोटी माता, बड़ी माता है जैसे बीमारियों को ठीक करने की मनौती लेकर माता की पूजा अर्चना करने से प्राचीन मंदिर का जनसहयोग से जीर्णोद्धार किया गया
हवन के बाद भंडारे का किया जाएगा आयोजन
मनोकामना पूर्ण होने लगा। उसके बाद ग्रामीण कुल्हाड़ीडीह को छोड़कर शीतला मंदिर के आस पास अपना घर आशियाना बना कर रहने लगे। इस मंदिर के आसपास सभी समाज के वंशज निवास करने लगे स्वर्गीय चंदूलाल वर्मा दरोगा को विचार आया कि क्यों ना चबूतरे में विराजित शीतला माता एवं अन्नपूर्णा माता के लिए मंदिर बनाया जाए। उन्होंने सर्वप्रथम मंदिर का निर्माण कर दोनों माता को स्थापित किया साथ ही मंदिर के समीप दरोगा जी ने लगभग 28 हाथ अर्थात 42 फीट गहरा कुआं बनवाया। जिससे पूरे गांव के निवासी पानी पीते थे। इस तरह दरोगा जी ने पूण्य कार्य किया जो गांव के लिए प्रेरणा स्रोत है। मंदिर के समीप नीम का पेड़ बहुत पुराना है जिसका तना फैलने की वजह से पक्का मंदिर का दीवाल बार बार फट जाता है जिसकी वजह से तीन बार मंदिर का निर्माण हो चुका है इस बार समस्त ग्रामवासियों के सहयोग से 500 फिट भूमि दान में लेकर प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। जिसमें पूजा कक्ष, सत्संग हॉल, ज्योतिकक्ष, भंडार कक्ष बनाया गया है। बहुत कुछ कार्य अभी निर्माणाधीन है उक्त कार्य जन सहयोग से संभव हो पाया है। नवनिर्मित मंदिर में ग्रामीणों का विशेष सहयोग रहा।



