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भारत की दिवाली को मिली अंतरराष्ट्रीय मान्यता, जानिए इसकी वजह

भारत की दिवाली को मिली अंतरराष्ट्रीय मान्यता, जानिए इसकी वजह

नई दिल्ली। भारत के लिए आज का दिन ऐतिहासिक और गर्व से भर देने वाला साबित हुआ है। यूनेस्को ने भारत के प्रमुख और सबसे पॉपुलर पर्व दीपावली को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage) की अंतरराष्ट्रीय सूची में शामिल कर लिया है। यह फैसला यूनेस्को की अंतरराष्ट्रीय समिति की बैठक में लिया गया, जिसमें 150 देशों के 700 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। 78 देशों की 67 सांस्कृतिक परंपराओं में से दीपावली को वैश्विक धरोहर के रूप में मान्यता मिलना भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान के लिए एक बड़ा सम्मान माना जा रहा है।

क्यों महत्वपूर्ण है दीपावली का UNESCO Heritage में शामिल होना?

दीपावली केवल दीप जलाने का त्योहार नहीं, बल्कि सदियों पुरानी भारतीय परंपरा और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यह अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और निराशा पर आशा की जीत का संदेश देता है। भगवान राम के अयोध्या लौटने पर दीप जलाने की परंपरा से जन्मी यह विरासत भारतीय समाज में एकता, प्रेम और शांति का संदेश फैलाती है। यूनेस्को द्वारा इसे धरोहर सूची में शामिल करने से भारतीय संस्कृति को नए स्तर पर अंतरराष्ट्रीय पहचान और सम्मान मिलेगा। इससे पर्यटन, सांस्कृतिक शोध और ग्लोबल सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- “भारत की आस्था का वैश्विक सम्मान”

इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- “यह दीपावली फिर से है! UNESCO द्वारा दीपावली को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर में शामिल करना आशा, साहस और दृढ़ता के सार्वभौमिक मूल्यों का उत्सव है।” उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों ने भारतीय सांस्कृतिक प्रतीकों को वैश्विक सम्मान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस सूची में दीपावली का शामिल होना भारत की सभ्यता, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक आस्था का वैश्विक स्वीकार है।

UNESCO Heritage में शामिल भारत की अन्य परंपराएँ

दीपावली से पहले भी भारत की कई समृद्ध परंपराएँ यूनेस्को की अमूर्त धरोहर सूची में शामिल हो चुकी हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • कुंभ मेला
  • दुर्गा पूजा
  • गरबा
  • योग

इन परंपराओं के बाद दीपावली का शामिल होना भारत की सांस्कृतिक विरासत की अंतरराष्ट्रीय मजबूती को और अधिक पुख्ता करता है।

दिल्ली में आज शाम फिर मनेगी दिवाली, राजधानी तैयार

यूनेस्को के इस फैसले के बाद दिल्ली में आज शाम एक बार फिर दिवाली जैसा माहौल देखने को मिलेगा। विभिन्न ऐतिहासिक और सरकारी इमारतों को रोशनी और दीपों से सजाया जा रहा है।

लालकिला, इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, कर्तव्य पथ और चांदनी चौक समेत कई प्रसिद्ध स्थानों पर रंगोली, दीया सजावट और विशेष कार्यक्रमों की तैयारी है। दिल्ली के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा ने बताया कि शहर की सभी प्रमुख इमारतों को सजावटी लाइट्स और मिट्टी के दीपों से रोशन किया जाएगा। लालकिला परिसर में मुख्य कार्यक्रम होगा, जहाँ पारंपरिक संगीत, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और आतिशबाज़ी प्रदर्शित की जाएगी।

भारत की सांस्कृतिक शक्ति का वैश्विक प्रदर्शन

UNESCO द्वारा दीपावली को सांस्कृतिक धरोहर में शामिल किया जाना न केवल भारत के लिए ऐतिहासिक है, बल्कि यह वैश्विक मंच पर भारतीय आध्यात्मिकता, सांस्कृतिक विविधता और प्राचीन परंपराओं का अद्वितीय प्रदर्शन भी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले वर्षों में यह भारत की सांस्कृतिक कूटनीति (Cultural Diplomacy) को और मजबूत करेगा।

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