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6 महीने में चार बार ट्रांसफर, कमांडेट पर जवान ने लगाया सनसनीखेज आरोप, ट्रांसफर के लिए 60 हजार मांगने का आरोप, पत्र में लिखा…

रायपुर/अमलेश्वर । छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में एक बार फिर ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार का आरोप सामने आया है। तीसरी बटालियन, अमलेश्वर के जवान नवदीप पांडे ने अपनी ही बटालियन की कमांडेंट मेघा टेम्भूरकर पर ट्रांसफर के नाम पर 60 हजार रुपये मांगने का गंभीर आरोप लगाया है। नवदीप ने इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी किया, जो तेजी से वायरल हो रहा है।

60 हजार रुपये नहीं दिए, इसलिए छह महीने में चार बार ट्रांसफर” — जवान का आरोप

वीडियो में जवान नवदीप पांडे ने बताया कि:

  • उनसे 60,000 रुपये की मांग की गई
  • पैसे नहीं देने पर 6 महीनों में 4 बार ट्रांसफर किया गया
  • उनके बार-बार दिए गए आवेदन विभाग ने स्वीकार नहीं किए
  • कंपनी कमांडर और हवलदार ने आवेदन की रसीद तक देने से मना कर दिया

उन्होंने कहा कि वह रायपुरा में किराए के मकान में रहते हैं और उनकी पत्नी का पैर टूटा हुआ है, जिससे उन्हें परिवार की देखभाल करनी पड़ती है। इसके बावजूद उन्हें लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा गया — महासमुंद, जशपुर, बस्तर और फिर दुर्ग।

नवदीप का कहना है कि यह सब पैसे नहीं देने की वजह से हुआ और अब वह इस मामले को लेकर हाईकोर्ट तक जा चुके हैं।

“मानसिक प्रताड़ना दी गई” — स्टेनो और कमांडेंट पर भी आरोप

जवान ने विभागीय स्टेनो चंद्रशेखर तिवारी और कमांडेंट मेघा टेम्भूरकर पर मानसिक प्रताड़ना देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि वह सिर्फ पोस्टिंग ही नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव का भी सामना कर रहे हैं।

जब जवान ही सुरक्षित नहीं, तो जनता कैसे सुरक्षित?” — पुलिस कल्याण संघ

इस मामले पर पुलिस कल्याण संघ के अध्यक्ष उज्जवल दीवान ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा—

“आम जनता पुलिस पर रिश्वत के आरोप लगाती है, यह नई बात नहीं है। लेकिन जब एक पुलिस जवान अपने ही अधिकारी पर पैसे मांगने का आरोप लगाए, तो यह बेहद गंभीर स्थिति है। क्या एक एसपी रैंक का अधिकारी इतना कमाता है कि उसे जवानों से पैसे लेने पड़ें?”

उन्होंने सवाल उठाया कि जब विभाग में ही इस तरह के हालात हैं, तो आम जनता के साथ क्या होता होगा? उन्होंने इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग की।

पोस्टिंग से बचने का तरीका, यह डिफॉल्टर सिपाही” — मेघा टेम्भूरकर

कमांडेंट मेघा टेम्भूरकर ने आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया। उनका कहना है कि—

  • नवदीप पांडे के खिलाफ विभागीय जांच पहले से चल रही है
  • वह पोस्टिंग से बचने और बस्तर भेजे जाने से इनकार करने के लिए मनगढ़ंत आरोप लगा रहा है
  • नवदीप एक डिफॉल्टर सिपाही है, जिसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही है

उन्होंने कहा कि जवान द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह झूठे हैं और विभागात्मक प्रक्रियाओं से बचने का प्रयास है।

मामला अब गंभीर, विभाग की छवि पर सवाल

जवान और अधिकारी के बीच टकराव ने छत्तीसगढ़ पुलिस के भीतर के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ट्रांसफर-पोस्टिंग के बदले पैसे मांगने जैसे आरोप पहले भी सामने आते रहे हैं, लेकिन इस बार मामला पुलिस फोर्स के भीतर के संघर्ष को उजागर करता है।मामला हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है, इसलिए आने वाले दिनों में विभाग को कानूनी और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर जवाब देना पड़ सकता है।

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