
SBI में करोड़ों का घोटाला: इंटरनल सस्पेंस अकाउंट से 2.78 करोड़ की अवैध ट्रेडिंग, चीफ मैनेजर गिरफ्तार
रायपुर। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से जुड़े एक बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें बैंक के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने आंतरिक खाते का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपये की अवैध ट्रेडिंग की। एंटी करप्शन ब्यूरो/आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने इस मामले में SBI की स्पेशलाइज्ड करेंसी मैनेजमेंट शाखा (SCAB), रायपुर के चीफ मैनेजर विजय कुमार आहके को गिरफ्तार किया है। आरोपी पर बैंक के अत्यंत संवेदनशील इंटरनल अकाउंट से करीब 2.78 करोड़ रुपये की अवैध निकासी और गबन का गंभीर आरोप है।
शिकायत के बाद दर्ज हुआ अपराध
भारतीय स्टेट बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय, रायपुर द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर ब्यूरो में दिनांक 17 दिसंबर 2025 को अपराध क्रमांक 67/2025 दर्ज किया गया। आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(5), 318(4), 61(2), 338, 336(3), 340(2) के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा 13(1)(ए) एवं 13(2) के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया।
सर्च में मिले अहम दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य
प्रकरण दर्ज होने के बाद जांच एजेंसी ने आरोपी विजय कुमार आहके के रायपुर स्थित निवास पर विधिवत तलाशी कार्रवाई की। इस दौरान बैंकिंग लेन-देन से जुड़े कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल रिकॉर्ड और इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस जब्त किए गए, जो गबन और धोखाधड़ी की पुष्टि करते हैं।
अत्यंत संवेदनशील शाखा का प्रमुख था आरोपी
आरोपी विजय कुमार आहके स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की स्पेशलाइज्ड करेंसी मैनेजमेंट शाखा (SCAB) का प्रमुख था। यह शाखा अन्य बैंक शाखाओं को नकदी की आपूर्ति और प्रबंधन का कार्य करती है और इसे बैंकिंग व्यवस्था की सबसे संवेदनशील इकाइयों में माना जाता है। इस पद पर रहते हुए आरोपी ने बैंक के इंटरनल ऑफिस अकाउंट, जिसे सस्पेंस अकाउंट कहा जाता है और जिसकी कोई निर्धारित सीमा नहीं होती, का दुरुपयोग किया।
ट्रेडिंग की लत में किया योजनाबद्ध गबन
जांच में सामने आया है कि आरोपी ने लगभग आठ महीनों की अवधि में सुनियोजित तरीके से करीब 2 करोड़ 78 लाख 25 हजार 491 रुपये की अवैध निकासी की। यह राशि उसने अपने और अपनी पत्नी के बैंक खातों में ट्रांसफर करवाई। आरोपी ने सस्पेंस अकाउंट को एक तरह से “ब्लैंक चेक” की तरह इस्तेमाल किया और बैंक के रेड फ्लैग इंडिकेटर (RFI) सिस्टम को बायपास कर दिया।
फर्जी एंट्री और सिस्टम से बचने की साजिश
बैंकिंग नियमों के अनुसार, सस्पेंस अकाउंट की एंट्री 30 दिनों के भीतर क्लियर की जानी होती है। आरोपी ने इस अवधि से पहले ही फर्जी एंट्री कर ‘रोलओवर’ कर दिया, जिससे सिस्टम में कोई अलर्ट जनरेट न हो सके। शुरुआती महीनों में 3 से 4 फर्जी एंट्री की गईं, जबकि बाद में मल्टीपल फेक एंट्री कर रकम को छिपाया गया। जांच एजेंसी का मानना है कि यह ड्यू डिलिजेंस में गंभीर चूक को भी दर्शाता है, जिसकी अलग से जांच की जा रही है।
क्रिप्टो और कमोडिटी ट्रेडिंग में लगाया पैसा
गबन की गई राशि को आरोपी ने क्रिप्टो करेंसी, ऑप्शन ट्रेडिंग और कमोडिटी ट्रेडिंग में निवेश किया। इसके लिए उसने ‘घन ऐप’ और ‘डेल्टा एक्सचेंज’ जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया। इस तरह सरकारी बैंक की राशि को निजी सट्टेबाजी और जोखिम भरे निवेश में लगाया गया।
गिरफ्तारी और आगे की जांच
पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद आरोपी विजय कुमार आहके को 18 दिसंबर 2025 को गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय में पेश किया गया। जांच एजेंसी ने संकेत दिए हैं कि इस प्रकरण में अन्य बैंक अधिकारियों या कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। मामले में पूछताछ और आगे की विवेचना जारी है।



