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अरावली खनन पर SC का बड़ा फैसला, खनन आदेश पर लगाई रोक

नई दिल्ली। अरावली हिल्स में खनन से जुड़े स्वतः संज्ञान मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 20 नवंबर के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने साफ किया कि अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनी रहेगी।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अरावली रेंज की परिभाषा को लेकर गहरी चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि 20 नवंबर के आदेश को लागू करने से पहले एक निष्पक्ष और स्वतंत्र समीक्षा जरूरी है। इसके लिए डोमेन एक्सपर्ट्स की हाई पावर्ड कमेटी गठित की जाएगी, जो खनन के पर्यावरणीय असर, अरावली की सीमाएं और संरक्षण की निरंतरता जैसे मुद्दों की जांच करेगी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि अरावली जैसे संवेदनशील क्षेत्र में खनन को लेकर समग्र और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया माइनिंग प्लान कोर्ट की मंजूरी के बाद ही लागू होगा और इसमें पब्लिक कंसल्टेशन भी शामिल रहेगा। इस पहल की CJI ने सराहना की।

चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि कोर्ट की कुछ टिप्पणियों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है, जिससे भ्रम की स्थिति बन रही है। अरावली पहाड़ियों की ऊंचाई, 500 मीटर के दायरे, खनन की अनुमति या रोक जैसे पहलुओं पर स्पष्टता जरूरी है।

गौरतलब है कि अरावली को लेकर विवाद 1996 से चला आ रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अरावली पहाड़ियां थार रेगिस्तान को दिल्ली-NCR तक बढ़ने से रोकने वाली प्राकृतिक दीवार हैं। नई परिभाषा से छोटी पहाड़ियों के संरक्षण पर खतरा बढ़ सकता है, जिससे प्रदूषण और भूजल संकट गहरा सकता है।

मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी। तब तक सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से विस्तृत रिपोर्ट और सुझाव देने को कहा है।

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