छत्तीसगढ़दंतेवाड़ा

बदलते दंतेवाड़ा की नई तस्वीर, लाल पानी प्रभावित ग्रामों के निवासियों के बच्चों की शिक्षा के लिए उम्दा शैक्षणिक प्रयास

नौनिहालों का भविष्य गढ़ने के लिए समर्पित है आस्था गुरुकुल-2 किरन्दुल

नरेंद्र श्रीवास्तव।

दतेवाड़ा : अगर टिकाऊ विकास की बात करे तो इसकी सम्पूर्ण परिकल्पना शिक्षा जैसे बुनियादी सुविधाओं पर टिकी रहती है। एक पूरी पीढ़ी में सकारात्मक बदलाव हेतु शिक्षा से बड़ा और कोई माध्यम नही है। एक बच्चे की शुरुआती शिक्षा ही उसके भविष्य को आकार देती है। कहने का तात्पर्य यह है कि प्राथमिक शालाओं से ही दिया गया शैक्षणिक ज्ञान और वातावरण ही उसके भावी जीवन का आधार शिला रखता है। इस क्रम में जावंगा एजुकेशन हब स्थित आस्था गुरूकुल ने अपनी भूमिका सार्थक कर दी है इसकी ही तर्ज पर लौह खनन क्षेत्र किरंदुल के लाल पानी प्रभावित 9 पंचायतों हिरोली, कुटरेम, गुमियापाल, मड़कामीरास, कड़मपाल, टिकनपाल, चोलनार, मदाड़ी, कलेपाल, ग्रामों के बच्चों को उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा सुलभ कराने के लिए जिला प्रशासन द्वारा कुआकोण्डा ब्लॉक अंतर्गत किरंदुल में आस्था गुरुकुल-2 प्रारंभ किया गया है। लाल पानी से ग्रस्त ग्राम अर्थात ऐसे ग्राम जहां की कृषि भूमि लौह खनन से निकलने वाले ऑक्साइड युक्त लौह जल से अनुर्वर हो गई है जिसके कारण इन ग्रामीणों की खेती बुरी तरह से प्रभावित हो चुकी है। फलस्वरूप इनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति ऐसी नहीं है कि यह कृषक अपने बच्चों को स्थानीय महंगे अंग्रेजी माध्यम के नर्सरी स्कूलों में पढ़ा सके ऐसे ग्रामीणों के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की प्राथमिक शिक्षा के लिए जिला प्रशासन द्वारा यह पहल की गई है। भले ही यह अभी प्रारंभिक स्तर पर है परन्तु यहाँ आवासीय शालाओं में रह रहे नन्हें बच्चों के आत्मविश्वास को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में इस संस्था से भी ग्रामीण प्रतिभाएं अवश्य निकलेगी।

मानसिक एवं शारीरिक विकास सहित खेल-खेल में पढ़ाई पर फोकस 

स्कूल की प्रार्चाय  रूही परवीन ने इस संबंध में बताया कि चूंकि संस्था में पहली कक्षा प्रारंभ की गई है अतः इन छोटे बच्चों के उम्र को देखते हुए उन्हे सुबह पीटी, योगा, मेडिटेशन, कराया जाता है, फिर सुबह नास्ते में मैन्यू अनुसार पोहा या हलवा अथवा पुड़ी खीर दी जाती है। फिर डेढ़ बजे मध्यान्ह भोजन, चार बजे फिर नाश्ता और संध्या सात बजे उनके भोजन दिया जाता है। अभी वर्तमान में पहली कक्षा के 2 सेक्शन में 71 बच्चे पढ़ रहे है। उन्होंने यह भी बताया कि इन छोटे ग्रामीण बच्चों को शुरूआती दौर में इस नये शैक्षणिक माहौल मे रहने का अभ्यस्त बनाने के लिए कुछ समय लगा क्योंकि बच्चे छोटे होने के कारण हमेशा वापस अपने घर जाने की जिद किया करते थे फिर पूरे शैक्षणिक स्टाफ के धैर्य और परिश्रम से बच्चों को इस वातावरण में ढाला गया। अब बच्चे न केवल रम गए है बल्कि अपने अभिभावक आने से भी घर जाने की जिद नहीं करते हैं। बच्चों के सीखने और समझने की क्षमता के विषय में वे कहती है कि अधिकतर बच्चे पूरे आत्मविश्वास से अंग्रेजी में अपना परिचय देते है। कोई नही कह सकता कि ये वहीं नन्हें बच्चे है जो चार महीने पहले घर जाने के लिए उधम मचाया करते थे। बच्चों के अभिभावक भी यहां की व्यवस्थाओ से संतुष्ट हैं बच्चों के पढ़ाई के संबंध में वे कहती है कि बच्चों का प्रारंभ में उनकी मातृभाषा में अंग्रेजी और हिन्दी वर्णमाला, गिनती सिखाया जाता है। फिर गीतों और कहानियों के माध्यम से भी बच्चे सीखते है। संस्था में बच्चों को इंडोर खेलकूद एवं ड्राइंग पेंटिग भी सिखाई जाती है। जिसे बच्चे बड़ी लगन से सीखते है। नये स्कूल भवन के विषय में प्राचार्य ने बताया कि हिरोली स्थित पटेल पारा में नया भवन स्वीकृत है भवन बनने के पश्चात अधिक से अधिक ग्रामीण बच्चों को संस्था में दाखिला करवा सकेगें। स्कूल स्टाफ में अभी दो असिस्टेंट टीचर, एक पीटीआई, दो हास्टल वाडन, एक स्टाफ नर्स मौजूद है।

इस दौरान नन्हें बच्चों में से अंजली मरकाम (ग्राम मड़कामीरास) रोशनी पदम (ग्राम उदेला) लच्छू कुंजाम (ग्राम कुडरेम) प्रीति मरकाम (ग्राम बुरगुम), नीतेश कुंजाम (ग्राम समलवार,) ने पूछने पर अपना परिचय आत्मविश्वास के साथ अंग्रेजी मे दिया। संकुल के बीईओ शंकर चौधरी ने इस मौके पर बताया कि इस आस्था गुरुकुल के ये नन्हें बच्चे आगामी 26 जनवरी को अपना सांस्कृतिक प्रदर्शन करेगें। वंचित ग्रामीण बच्चों की परिस्थितियों को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा इस क्षेत्र में आस्था गुरुकुल प्रारंभ किये जाने का सकारात्मक परिणाम यह है कि बच्चों को उत्कृष्ट आधारभूत शिक्षा मिलेगी। जिसका दूरगामी प्रभाव क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास पर होगा।

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