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रायपुर निगम में ट्रांसफर आदेश बेअसर, दो महीने बाद भी अधिकारी अपनी कुर्सी पर कायम

रायपुर। अपने चहेतों को बचाने के चक्कर में रायपुर नगर निगम के कर्ता-धर्ता निगम के कोष को खाली करने में जुटे हैं. यही नहीं इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश की भी अवहेलना की जा रही है. वहीं सबकुछ जानने के बाद भी निगम के उच्चाधिकारी मौन धारण किए हुए है. दरअसल, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दो महीने पहले जारी ट्रांसफर लिस्ट को निगम के कई वरिष्ठ अधिकारी-कर्मचारी पूरी तरह नजरअंदाज किए गए हैं. नतीजा ये हुआ कि एक ही पद पर दो-दो कर्मचारी तनख्वाह ले रहे हैं, जबकि जिन निगमों में इन अधिकारियों को जाना था, वहाँ महत्वपूर्ण पद खाली पड़े हैं, जिसकी वजह से जनता को भारी परेशानी हो रही है. रवि लावण्य ज़ोन स्वास्थ्य अधिकारी का कोरबा नगर निगम में ट्रांसफर हुआ है. संतोष वर्मा राजस्व उपनिरीक्षक का राजनांदगांव, रोशन देव रात्रे उप अभियंता का जगदलपुर नगर निगम, उमेश नामदेव जोन स्वास्थ्य अधिकारी का जगदलपुर नगर निगम, प्रदीप यादव कार्यपालन अभियंता मैकेनिकल रायपुर का रायगढ़ नगर निगम में ट्रांसफर हुआ है.स्वास्थ्य अधिकारी का जगदलपुर नगर निगम, प्रदीप यादव कार्यपालन अभियंता मैकेनिकल रायपुर का रायगढ़ नगर निगम में ट्रांसफर हुआ है.

सूत्र बताते हैं कि इन सभी अधिकारियों की रायपुर में पहली पोस्टिंग थी, और वर्षों से यहीं डटे हुए थे. ट्रांसफर के बाद भी इन्होंने रिलीविंग नहीं ली, जबकि इनकी जगह ट्रांसफर होकर आए नए कर्मचारी ज्वाइन कर चुके हैं. ट्रांसफर के बाद भी रायपुर निगम में जमे अधिकारियों के संबंध में नगर निगम कमिश्नर विश्वदीप ने कहा कि इन ट्रांसफर को लेकर हमने शासन से मार्गदर्शन मांगा है. अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है. वहीं अपर आयुक्त कृष्णा खटीक ने कहा कि ट्रांसफर तो हो गया है, लेकिन इन लोगों को रिलीव नहीं किया गया है. निगम में पहले से कई पद खाली हैं. खाली पदों पर भी सैलरी भुगतान हो रहा है. जिनकी जगह नए लोग आ गए हैं और ज्वाइन कर चुके हैं, जानकारी मिली है कि इनमें से कुछ लोग कोर्ट गए हैं.

नेता प्रतिपक्ष आकाश तिवारी का इस मुद्दे पर कहा कि ये पूरी तरह संरक्षण का मामला है. महापौर और कमिश्नर को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए. एक पद पर दो-दो लोग कैसे काम करेंगे और दो-दो सैलरी कैसे लेंगे? नगर निगम पहले से दिवालिया होने की कगार पर है, ऐसे में जनता का पैसा इस तरह बर्बाद करना सरासर भ्रष्टाचार है. जिन निगमों में ये अधिकारी नहीं पहुँचे, वहाँ की जनता को भारी नुकसान हो रहा है. शासन-प्रशासन पूरी तरह फेल साबित हो रहा है

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