छत्तीसगढ़

बच्चों पर चढ़ा ऑनलाइन मोबाइल गेम का बुखार, बर्बाद हो रहा युवाओं का भविष्य, अविभावक परेशान

महासमुंद। इन दिनों पबजी बैन होने के बाद भी बच्चों के सिर पे मोबाइल पर गेम खेलने का बुखार चढ़ा हुआ है। बसना शहरी क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों फ्री फायर गेम बच्चे खेल रहे हैं। हालांकि पबजी के दौर में भी इस गेम की खासी डिमांड थी,लेकिन पबजी बैन होने के बाद अब फ्री फायर गेम बच्चों पर नशा बन कर छा रहा है।

सैनिक, छावनी और शत्रुओं पर हमले जैसे चोंचले इस गेम में भी पबजी जैसे ही हैं। दीवानगी का यह आलम है कि दिन-दिन भर बच्चे मोबाइल पर यह गेम खेलने में व्यस्त रह रहे हैं। शहर से लेकर गांव तक बच्चों को घर और चौक-चौराहों, दुकानों की सीढ़ियों व घरों के दरवाजे पर मोबाइल पर गेम खेलते सहज ही देखा जा सकता है। कुछ बच्चे एक दूसरे साथी को जोड़ कर गेम खेलते हैं तो कुछ देखने के लिए नजर गड़ाए रखते हैं यह आलम आपको बसना के प्रत्येक वार्डो के चौक चौराहों में शाम को आसानी से देखने को मिल जाएगा एवं ग्रामीण क्षेत्रों के किराना दुकान पान ठेला समेत तालाब किनारे यह नजारा असानी से देखने को मिलता है।यही नज़ारा बसना शहर के वार्ड नं 9 में हर दिन शाम 6 बजे से रात के 9 बजे तक बच्चों के बीच देखने को मिलता है।

सांसद प्रतिनिधि एवं भाजयुमो जिला उपाध्यक्ष कामेश बंजारा ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मिला मोबाइल गेम की लत लगा दी है लॉकडाउन की परेशानियों के बीच बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो,इसको लेकर ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प खोजा गया। इसके लिए हरेक बच्चों को एंड्रॉयड मोबाइल ले कर देना अभिभावकों की मजबूरी रही। पढ़ाई के लिए मिला मोबाइल बच्चों की इस लत के कारण उन्हें बर्बाद कर रहा है। ऑनलाइन पढ़ाई का साइड इफेक्ट इतना जल्द ही दिखने पर बच्चे के माता-पिता मोबाइल को परेशानी का सबब समझ रहे हैं। मोबाइल के चक्कर में आंख और सिर में दर्द की शिकायत आ रही है एवं बच्चों में चिड़चिड़ापन देखने को मिल रहा है।

सामाजिक कार्यकर्ता अजय टंडन ने बताया कि हिंसक गेम में मशगूल हो कर बच्चे भी हो रहे हिंसक पबजी और फ्री फायर जैसे गेम काफी हिंसक हैं। इसके लत में फंसे बच्चों का मानसिक संतुलन गड़बड़ाने, परिजनों का पैसा बर्बाद करने समेत कई बार आत्म हत्या कर लेने जैसी कई घटनाएं देशभर से सामने आई हैं। इन गेम खेलने वाले बच्चों के सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है और वे चिड़चिड़ा होते जा रहे हैं। अनेके अभिभावकों ने कहा कि मोबाइल पर गेम खेलने की लत से बच्चों की पढ़ाई चौपट हो कर रह गयी है। वे लत नहीं छूटा तो उनका जिंदगी भी बर्बाद हो जाएगी। कोविड-19 महामारी में लगे कर्फ्यू लॉकडाउन से जो समय बच्चों को मिला है उनका यह दुरुपयोग कर ऑनलाइन गेम में अपना समय अत्यधिक बर्बाद किये है।

इंटरनैट गेम के इस्तेमाल से युवा खेलकूद से हो रहे दूर-शैलेंद्र नायक

नेशनल वॉलीबॉल प्लेयर शैलेंद्र नायक ने बताया कि इंटरनैट से जहां लोगों को फायदे हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसके नुक्सान भी देखने को मिल रहे हैं। इंटरनैट ऑनलाइन गेम का इस्तेमाल करने वाले युवा व बच्चे अक्सर मोबाइल फोन,लैपटॉप व कम्प्यूटर आदि पर चिपके रहते हैं। इसके कारण युवा व बच्चे खेलकूद व अन्य गतिविधियों से दूर होते जा रहे हैं एवं शारीरिक रूप से अत्यधिक कमजोर हो रहे हैं।

वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया अगर कोई मोबाइल पर अत्यधिक गेम खेलेगा तो उसकी आंखों का पानी तक सूख सकता है जिसके कारण आंखों की रोशनी कम हो जाएगी। अभिभावकों को ध्यान रखना होगा कि जब भी बच्चा घर पर है तो उसको मोबाइल से दूर रखें। वरना छोटी उम्र में ही गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।बच्चा पढ़ाई से दूर होता है खाना पीना बंद एवं दिमाग़ में परेशानी व क्रीमनल गेम से क्रीमनल जैसे बनने का चांस हो सकता है।

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