छत्तीसगढ़

रानी दुर्गावती बलिदान दिवस: जानिए वीरता, सौंदर्य और कुशल शासन की बेमिसाल कहानी

रायपुर। गोंडवाना साम्राज्य की रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस गुरुवार को है। मुगल शासकों को अपने पराक्रम से पस्त करने वाले वीर योद्धाओं में रानी दुर्गावती का नाम भी शामिल है। उन्होंने आखिरी दम तक मुगल सेना का सामना किया और उसकी हसरतों को कभी पूरा नहीं होने दिया। 24 जून 1564 को यह युद्धभूमि में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गईं। रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को चंदेल राजा कीर्तिसिंह शालिवाहन के घर हुआ। वो कीर्तिसिंह की एकलौती पुत्री थीं। उनके पिता उन्हें प्यार से दुर्गा बुलाते थे। दुर्गावती जब बहुत छोटी थीं तभी इनकी माता का स्वर्गवास हो गया। इसके कारण इनके पिता राजा कीर्तिसिंह ने ही इनका लालन-पालन किया। पिता ने दुर्गावती को पुत्र के समान ही पाला था। दुर्गावती भारतीय इतिहास की एक ऐसी वीरांगना थीं, जिन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। 1540 में दुर्गावती का विवाह गोंडवाना राज्य (गढ़ा मण्डला) के महाराजा संग्राम सिंह के पुत्र दलपत शाह से हुआ था। 1544 में रानी ने वीरनारायण नामक पुत्र को जन्म दिया। 1548 में राजा दलपत शाह के मृत्यु के बाद वीरनारायण का राज्याभिषेक हुआ और रानी दुर्गावती ने राज्य की बागडोर संभाला।

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