छत्तीसगढ़

राजधानी के एम्स में नवजात शिशुओं का स्क्रीनिंग से जल्द होगा इलाज

रायपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर(एम्स) में जल्द ही नवजात शिशुओं की स्क्रीनिंग से इलाज होगा। देशभर के प्रमुख विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नवजात शिशुओं की जन्म के पश्चात मेटाबालिकडिसआर्डर जानने के लिए तुरंत मेडिकल स्क्रीनिंग कर ली जाए, तो कई गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है। इन बीमारियों में जन्म के समय हृदय रोग, कैंसर, बहरापन, किडनी संबंधी बीमारियां भी संभव है। यदि समय पर चिकित्सकीय परामर्श ले लिया जाए, तो बच्चों का जीवन बचाया जा सकता है और उन्हें स्वस्थ जीवन प्रदान किया जा सकता है।

एम्स निदेशक ने बताया- ऐसे होगा उपचार

एम्स के बायोकेमिस्ट्री विभाग के तत्वावधान में आयोजित इंटीग्रेटेड ऑमिक्स विद न्यू बोर्न मेटाबॉलिक डिसऑर्डर विषयक सीएमई का उद्घाटन करते हुए निदेशक प्रो. (डा.) नितिन एम. नागरकर ने बताया कि यदि बच्चों का एक, तीन और छह माह पर चिकित्सकीय परीक्षण कर लिया जाए तो उनमें कम सुनने की क्षमता को पहचाना जा सकता है और समय पर उसका उपचार शुरू किया जा सकता है।

इसके लिए जल्द से जल्द नवजात शिशुओं में समस्या की पहचान और इलाज आवश्यक होता है। उन्होंने कहा कि यदि बच्चों में सुनने की क्षमता का सही विकास हो तो वे इससे जल्द बोलने और समझने में सक्षम हो जाते हैं। इसके लिए बच्चे के जन्म के 12 महीने के अंदर स्क्रीनिंग और उपचार प्रदान करना आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि नवजात बच्चों की संपूर्ण जांच के लिए एम्स के ईएनटी और बायोकेमिस्ट्री विभागों में सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। एडिशनल डीएमईटी प्रो. प्रदीप पात्रा ने कहा कि कोविड ने विभिन्न विशेषज्ञों को एक साथ सीखने का मौका प्रदान किया है। सीएमई के माध्यम से भी विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ एक-दूसरे के अनुभव से ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।

नवजात शिशुओं में कमियों का लगा सकेंगे पता

एम्स, दिल्ली की बाल रोग विशेषज्ञ प्रो. मधुलिका काबरा ने नवजात शिशुओं की स्क्रीनिंग में नई तकनीक के प्रभावों का विस्तार से वर्णन किया। एम्स, भोपाल की डॉ. भावना ढींगरा का कहना था कि नई तकनीक की मदद से गर्भस्थ और नवजात शिशुओं में कमियों का पता लगाया जा सकता है। इसमें किडनी, हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी शामिल हैं। अब प्रत्येक नवजात की जरूरत के मुताबिक उन्हें इलाज प्रदान किया जा सकता है।

आवश्यकता बीमारियों की सही समय पर पहचान करने की है। सीएमई का आयोजन विभागाध्यक्ष प्रो. एली मोहपात्रा और डा. सुपर्वा पटेल के निर्देशन में हुआ। इसमें एम्स, जोधपुर के प्रो. कुलदीप सिंह, एम्स, ऋषिकेश के डा. प्रशांत के. वर्मा और एम्स, रायपुर की डा. तृप्ति सिंह ने भी व्याख्यान प्रस्तुत किए। सीएमई के आयोजन में प्रो. रचिता नंदा, डा. जेसी अब्राहम, डा. सीमा शाह, डा. डी.एल. गुप्ता, डा. तृप्ति, डा. पृश्नी का भी सहयोग रहा।

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