हर हिंदुस्थानी को हिन्दू संस्कृति का ज्ञात होना आवश्यक है: ABVP नगर छात्रा प्रमुख-टिया चौहान
अंग्रेजी कैलेंडर में आज न्यू ईयर है अर्थात एक निश्चित वर्ष का पूर्ण पश्चात नए साल का आगमन दिवस। मानती हूं भाईचारे की धारणा से पल्लवित हमारी सभ्यता है किंतु इस पाश्चात्य संस्कृति में अपनी माँ भारती के साथ दोराहे व्यवहार क्यों?क्या हम विदेशी परम्पराओं से जकड़ चुके हैं या अपने हिंदुत्व एवं जन्मभूमि जहां कई बलिदानियों ने भारतीय चलन को संजोए रखने में सर्वस्व न्योछावर कर दिया उनके धर्म पर प्रति कटाक्ष कर रहे हैं स्वयं में निंदनीय विषय है।
हम छोटी छोटी बातें जिनको ध्यान नहीं देते वह सब हमारे प्राचीन भारतीय संस्कृति से महत्त्वपूर्ण जुड़ाव रखते हैं जैसे किसी महापुरुष, ऋषिमुनि की पुण्यतिथि,भव्य स्थापना दिवस या पावन पर्व इन सबके तिथियों में हम अपनी भारतीयत्व छवि का समागम देखते हैं।
आज के एक जनवरी को दिन विशेष विदेशों में न्यू ईयर(नववर्ष)का जश्न मनाया जाता है उनसे अधिक मात्रा में जोर शोर से हम भारतीयों में उनकी सभ्यताओं को पालन करने वाले मिलेंगे जो एक निश्चित दौर का प्रारम्भ और अपनी संस्कृति का दोहन तय करता है अपनी संस्कृति का दोहन तब स्पष्ट होता है जब हम हमारे नववर्ष के दिन को भूल जाते हैं यह कटुसत्य है आधे से ज्यादा लोगों को हिंदी नववर्ष का बोध नहीं व कहीं न कहीं दिलचस्पी का अभाव भी है।
इसमें किसी की गलती नहीं क्योंकि विदेशी माहौल में ढल चुके मानसिकता पर हिंदुत्व औऱ राष्ट्रप्रेम रूपी कायाकल्प नवपरिवर्तन आवश्यक है।
हमारा नववर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष में सुनियोजित है।उम्मीद है सभी देशवासियों पर माँ भारती के माटी की खुशबू का बोध हो व प्राचीन धरोहर पर चलन अमल में लाएं।