लापरवाही! बिलासपुर में एसएडीओ को नहीं है प्रतिबंधित कीटनाशक की जानकारी, कार्रवाई के लिए किसानों की शिकायत का कर रहे इंतजार
बिलासपुर। जिले के तखतपुर क्षेत्र में बाजारों में प्रतिबंधित कीटनाशक बिक रहा है या नहीं, इसकी जानकारी यहां के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी को ही नहीं है. क्योंकि उन्हें पेस्टिसाइड के बैन होने की जानकारी ही नहीं है. जबकि उनके उच्चाधिकारी का कहना है कि लिस्ट उनके हाथों में दिया गया था.
अब उच्चाधिकारियों द्वारा हाथों में दी गई जानकारी को ही झुठलाने वाले अधिकारियों की कार्यशैली और बाजारों में कृषि केंद्रों में नियंत्रण का अंदाजा लगाया जा सकता है.
इसलिए आप यदि कृषि केंद्रों से कोई कीटनाशक खरीद रहे हैं, तो उसे परख कर ही खरीदे कि कहीं वो किटनाशक बैन तो नहीं है. तख़तपुर के वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी एल पी कौशिक से प्रतिबंधित कीटनाशकों की जानकारी मांगी गई.
तो वो फाइलें देखने लगे, फिर कहने लगे कि शासन के द्वारा उनके कार्यालय में इसकी सूची ही नहीं भेजी गई है. लेकिन उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर कुछ नाम बताने की बात कही.
अधिकारी को शिकायत का इंतजार
उन्होंने कहा कि जब किसान शिकायत करते हैं, तो जांच की जाती है. किसान शिकायत नहीं कर रहे इसका मतलब की बाजार में प्रतिबंधित कीट नाशक नहीं बिक रहे हैं.
यदि बैन कीटनाशक किसानों को बेचे जाते, तो वे शिकायत लेकर आते. इससे यह साफ है कि अधिकारी को किसान के फसल बर्बाद होने का इंतजार है. जिसके बाद वो बाजार में जाएंगे और जांच के बाद कार्रवाई करेंगे. जिला स्तर के अधिकारी का कहना है कि शासन से हर कार्यालय को प्रतिबन्धित कीटनाशकों की सूची भेजी गई. यह सूची स्वयं वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारियों के हाथों में दिया गया था.
पहले ही दी जा चुकी है सूची
इस संबंध में प्रभारी डीडीए (डिप्टी डायरेक्टर कृषि) शशांक शिंदे का कहना है कि हमारे यहां से सभी को प्रतिबंधित कीटनाशकों की सूची और राजपत्र की कॉपी सभी एसएडीओ के हाथों हाथ दिया गया था. उनका यह कहना सही नहीं है.
क्या है बैन पेस्टिसाइड्स ?
शासन समय-समय पर हानिकारक कीटनाशकों के विक्रय और उपयोग पर प्रतिबंध लगाता रहता है. जिन कीटनाशकों और दवाओं पर प्रतिबंध लगा होता है.
उसके बाजार में बिक्री को रोकने का काम ब्लॉक स्तर पर एसएडीओ का होता है. इन पेस्टिसाइड्स के उपयोग से फसलों के उत्पादों को उपयोग करने वाले के स्वास्थ्य नुकसान के साथ जमीन और पानी जहरीला हो जाता है.
फसलों को लाभ पहुंचाने वाले जीव भी मर जाते हैं. इससे जमीन की उर्वरा शक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. इसे रोकने के लिए शासन ऐसे कीटनाशकों के विक्रय पर रोक लगाते हुए उसे बैन कर देता है.
कुछ कीटनाशक ऐसे होते है जिनके उपयोग के लिए कुछ परिस्थितियां और शर्तें भी होती है. जिनका पालन ऐसे कीटनाशकों के उपयोग करते समय किया जाता है.
प्रतिबंधित कीटनाशकों की सूची हर विकासखंड स्तर के अधिकारी तक पहुंचाई जाती है, लेकिन तखतपुर के एसएडीओ का कहना है कि उन्हें यह सूची आज तक नहीं मिली है.
यह है इनकी जिम्मेदारी
विकासखंड स्तर पर वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी की नियुक्ति उस क्षेत्र में कृषि केंद्रों और खाद्य दुकानों पर शासन की ओर से नियंत्रण करने के लिए किया जाता है.
उनका काम होता है कि इन दुकानों पर प्रतिबंधित दवा, खादों, नकली बीज, एक्सपायर्ड दवाओं का विक्रय न हो. यदि ऐसा करते पाया जाता है, तो उस दुकान को सील करने, लाइसेंस को रद्द करने और जुर्माना लगाने का भी अधिकार होता है.
इन कीटनाशकों पर लगा है बैन
बता दें कि कृषि कार्याें के उपयोग में लाए जा रहे कीटनाशकों से मनुष्य और पशु-पक्षियों व जलीय जीवों पर पड़ रहे असर के मद्देनजर केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों से रिपोर्ट मांगी थी. जिसके बाद केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 27 कीटनाशकों को बैन किया था.
जिसमें ऐसफेट, अल्ट्राजाईन, बेनफराकारब, बुटाक्लोर, कैप्टन, कारबेडेंजिम, कार्बोफ्यूरान, क्लोरप्यरिफॉस, 2.4-डी, डेल्टामेथ्रीन, डिकोफॉल, डिमेथोट, डाइनोकैप, डियूरॉन, मालाथियॉन, मैनकोजेब, मिथोमिल, मोनोक्रोटोफॉस, ऑक्सीफ्लोरीन, पेंडिमेथलिन, क्यूनलफॉस, सलफोसूलफूरोन, थीओडीकर्ब, थायोफनेट मिथाइल, थीरम, जीनेब और जीरम शामिल है.