राजधानी में नई फिल्म नीति तैयार, हरी झंडी मिलने पर तरक्की करेगा छालीवुड
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 20 साल बाद भी छत्तीसगढ़ फिल्मों को देश भर में वह पहचान नहीं मिल पाई है, जैसी बंगाली, दक्षिण भारतीय, मराठी एवं अन्य भाषाई फिल्मों को मिल चुकी है। बीते सालों में सैकड़ों फिल्में आईं, लेकिन मात्र दो-चार फिल्मों ने ही छत्तीसगढ़ में इतिहास रचा। वे फिल्में भी छत्तीसगढ़ तक ही सीमित रहीं।
अब छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री की सूरत बदलने की कोशिश राज्य सरकार द्वारा की जा रही है। इसके लिए संस्कृति विभाग द्वारा नई फिल्म नीति बना ली गई है। बस नीति को राज्य कैबिनेट से हरी झंडी मिलने का इंतजार है। उम्मीद है कि अगले माह तक फिल्म नीति लागू हो जाएगी। इसके बाद छालीवुड की किस्मत चमकने में देर नहीं लगेगी।
संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने फिल्म नीति का मसौदा तैयार करके सरकार को भेज दिया है। नई फिल्म नीति बनाने के लिए महाराष्ट्र, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नाई की फिल्म नीतियों का अध्ययन करके इसमें लोक कलाकारों का हित और निर्माणाधीन फिल्म सिटी में उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ के निर्माता, निर्देशक, कलाकारों को तो लाभ मिलेगा ही, साथ में अन्य प्रदेश के निर्माता, निर्देशक, तकनीशियन, कलाकारों को छालीवुड में आने और फिल्म निर्माण करने के लिए सब्सिडी प्रदान कर प्रेरित किया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा फिल्मों की शूटिंग करने अन्य राज्यों के कलाकार नवा रायपुर में निर्माणाधीन फिल्म सिटी आने के लिए लालायित हों। फिल्म सिटी के अलावा छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल, लोकेशन का भी विकास किया जाएगा।
चक्कर से मिलेगी मुक्ति
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार फिल्म नीति बनने से छालीवुड को भी उद्योग का दर्जा मिलेगा। फिल्म निर्माण से जुडे कलाकारों, तकनीशियनों को परमिशन लेने के लिए चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। सुविधाएं मिलने से हर भाषा की फिल्में छत्तीसगढ़ में बनने लगेंगी। खासकर छत्तीसगढ़ी भाषा की फिल्मों को बढ़ावा देने विशेष सब्सिडी मिलेगी।
कलाकारों का पंजीयन
फिल्म नीति के अलावा कलाकारों का ग्रेड तय करने के लिए संस्कृति विभाग में पंजीयन भी किया जा रहा है। अब तक दो हजार से अधिक कलाकार पंजीयन करवा चुके हैं। पंजीयन के बाद कलाकारों को एबीसी ग्रेड में बांटा जाएगा। पद्मश्री, पद्मभूषण एवं अन्य राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार हासिल करने वाले कलाकारों को वरीयता दी जाएगी। स्थापित कलाकार और नए कलाकारों को अलग-अलग ग्रेड दिया जाएगा। इसी के अनुसार पारिश्रमिक और आयोजन तय होंगे।
राजधानी के अलावा अन्य शहरों में थिएटरों का निर्माण किया जाएगा और पुराने थिएटरों का जीर्णोद्धार होगा। दर्शकों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
फिल्म नीति बन चुकी है। इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है, नई नीति में सब्सिडी, लोक कलाकारों को बढ़ावा देने और छत्तीसगढ़ी फिल्मों का स्तर सुधारने, फिल्म निर्माण करने बाहर से आने वालों को विशेष सुविधाएं देने की योजना है। उम्मीद है कि अगले माह तक फिल्म नीति को अनुमति मिल जाएगी।