राजधानी के बूढ़ापारा धरना स्थल पहुंचे छत्तीसगढ़ के आठ जिलों के नक्सल पीड़ित परिवार
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य नक्सल पीड़ित परिवार ने नक्सल पीड़ित पुनर्वास योजना का लाभ नहीं दिए जाने को लेकर मोर्चा खोल दिया है।
सोमवार को बूढ़ापारा धरना स्थल पर सैकड़ों की संख्या में नक्सल प्रभावित जिलों के आदिवासी अपनी मांग लेकर धरने में बैठ गए हैं। वहीं, ये पीड़ित परिवार मंगलवार को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर रैली निकलकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, बस्तर, कोण्डागांव, कांकेर समेत राजनांदगांव के लोग सैकड़ों संख्या में उपस्थित हुए हैं। वहीं छत्तीसगढ़ राज्य नक्सल पीड़ित परिवार के मुखिया विजय गुप्ता राजनांदगांव, धीरेंद्र साहू डोगरगढ़ समेत अन्य लोगों का कहना है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा नक्सल पीड़ित पुनर्वास योजना 2004 में बनाई गई थी, जिनका समय-समय पर संशोधन किया गया।
इसी कारण ज्यादातर लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। इतना ही नहीं, इसका लिखित शिकायत नक्सल पीड़ित परिवार के लोग 10 फरवरी, 2021 को मुख्यमंत्री कार्यालय जाकर दर्ज करा चुके हैं।
इन मांगों को लेकर धरने पर बैठे
परिवार के लिए 50 फीसद छूट, छात्रवृत्ति और एक रुपये किलो की राशन कार्ड बनाने के लिए घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की गई है, लेकिन इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। आम नागरिकों को पुलिस मुखबिर कहकर नक्सलियों द्वारा गांव से भगा दिया है।
उन लोगों को शासकीय नौकरी, नक्सल पीड़ित योजना का संपूर्ण लाभ दिया जाए। केंद्र शासन एवं राज्य शासन द्वारा नक्सल पीड़ितों के लिए बनाई गई योजना और बीमा राशि जिसे नहीं मिली है, उनको राशि दी जाए। जमीन के बदले जमीन, रहने के लिए मकान कम से कम 50 बाई 50 नगर निगम के तहत जमीन देकर उसी जमीन पर मकान बनवाया जाए।
इसके साथ ही उनकी मांग है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल में छूट, आरक्षण सीट की छूट दी जाए। जिन लोगों की नक्सलियों ने हत्या कर दी, उनके स्वजनों को योजना का लाभ दिया जाए। पुलिस विभाग द्वारा विशेष पुलिस अधिकारी गोपनीय सैनिक नगर, सैनिक सहायक आरक्षक बनाया गया।
कुछ दिन नौकरी देकर पुलिस विभाग द्वारा तत्काल निकाल दिया गया, उन लोगों को पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पर नियुक्त किया जाए। वर्तमान में सहायक आरक्षक गोपनीय सैनिक नगर सैनिक है।
उन्हें आरक्षक के पद पर नियुक्त किया जाए। विशेष पुलिस अधिकारी गोपनीय सैनिक सहायक आरक्षक शहीद हो गए हैं, उनके परिवार को शहीद का दर्जा एवं पुलिस विभाग द्वारा मिलने वाली बची हुई बीमा और एवं सहायता राशि दी जाए।
शहीद के परिवार को चपरासी की नौकरी दी गई। उसे बदलकर पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पर नियुक्त किया जाए। योजना का लाभ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को दिया जाए।
नक्सलियों से लड़ते समय जो पुलिस अधिकारी-कर्मचारी शहीद हो जाते हैं, उनके स्वजनों को डेढ़ करोड़ से अधिक सहायता राशि शासन द्वारा दी जाए।
पुलिस विभाग के कर्मचारी-अधिकारी के बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रत्येक जिले में शासन द्वारा अच्छा स्कूल खोला जाए। नक्सल पीड़ित पुनर्वास का लाभ नहीं मिलने पर सीबीआइ द्वारा जांच कराएं जाए और दोषी पाए जाने पर उनके ऊपर कार्रवाई की जाए। जिन ग्रामीणों की नक्सलियों ने हत्या कर दी, उनके उत्तराधिकारी को पेंशन दी जाए।