छत्तीसगढ़

आरंग के समोदा बैराज खाली, भू-जल स्तर गिरा, 40 गांव के किसान परेशान

आरंग। महासमुंद और रायपुर की सीमा रेखा पर प्रवाहित महानदी पर स्थित समोदा बैराज को खाली रखने पर सियासत गरम हो गई है।

बैराज में पानी नहीं होने के कारण महानदी के दोनों तरफ के करीब 40 गांवों के किसान और आम लोग परेशान हैं। बैराज के सूखने से भू-जल स्तर में भारी गिरावट आई है। सैकड़ों बोर निष्क्रिय हो गए हैं।

सैकड़ों एकड़ खेतों की रबी फसल सूखने के कगार पर है। नलकूप भी ठप हो रहे हैं। कई निस्तारी तालाबों में बूंद भर पानी नहीं बचा है। वहीं दूसरी ओर रेत माफिया की मौज हो गई है। जिस समोदा बैराज में विपुल जलभराव के कारण रेत का उत्खनन नहीं हो पाता था, या मुश्किल होता था, उन रेत घाटों से धड़ल्ले से रेत निकाली जा रही है। अब भाजपा ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाया है और समोदा बैराज को खाली रखे जाने पर प्रदेश सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।

भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने जानना चाहा है कि क्या प्रदेश सरकार ने रेत माफियाओं के मौज के लिए इस बार समोदा बैराज को सूखा रखा है? सरकार को यह साफ करना चाहिए कि जब बैराज में कहीं कोई काम नहीं चल रहा है और न ही कोई बड़ा कार्य प्रस्तावित है, तो फिर बैराज को खाली रखने की जरूरत क्यों आ पड़ी? अग्रवाल ने कहा कि इस वर्ष बैराज में पानी भरने ही नहीं दिया गया। जो पानी भरा था, उसे भी करीब डेढ़ महीने पहले छोड़ दिया गया।

यह साफ नजर आ रहा है कि समोदा बैराज के खाली होने का फायदा केवल रेत माफियाओं को मिल रहा है। तो क्या रेत माफियों को फायदा पहुंचाने के लिए ही समोदा बैराज का पानी खाली कर दिया गया?

बैराज में पानी से यह होता था असर

बैराज के पानी से जहां रायपुर के हजारों एकड़ खेतों की फसलों को सींचती है, वहीं महासमुंद में अपने तट से 10-15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले करीब 30-40 गांवों में भू-जल स्तर को उच्च स्तर पर बनाए रखती है। महानदी पर बने निसदा और समोदा बैराज में होने वाले जलभराव के कारण नदी के दोनों किनारों के करीब 60 गांवों में भीषण गर्मी के दिनों में भी ट्यूबवेल भरपूर पानी देते रहे हैं। लेकिन इस बार स्थिति उलट हो गई है।

भाजपा ने आरोप लगाया कि समोदा बैराज जो गर्मी में भी लबालब भरा रहता था आज उसका पानी तलहटी में सिमट गया है। क्योंकि इस बार बैराज के गेटों को लगातार खुला रखा गया और पानी को नदी में बह जाने दिया गया। समोदा बैराज में उसकी क्षमता के अनुरूप 16 फीट तक जलभराव होता था, तब बैराज से बड़गांव, बरबसपुर, पारागांव रेत घाट तक नदी में पानी भरा होता था। अबकी बार बैराज खाली और नदी सूखी है, तो रेत की लूट मची है।

समोदा बैराज के किनारे के अछोला, अछोली, गढ़सिवनी, बोरिंग, जोबा, नयापारा, अछरीडीह, बड़गांव, बिरकोनी, घोड़ारी, खट्टी, कांपा, बेलटुकरी गांवों के किसानों पर असर पड़ रहा है। बरबसपुर, बड़गांव, पारागांव में स्वीकृत स्थान से हटकर रेत उत्खनन किया जा रहा है। महासमुंद से 15 किलोमीटर दूर बिरकोनी, बरबसपुर, बड़गांव, घोड़ारी गांवों में बेधड़क अवैध स्टाक कर रेत के पहाड़ रचे जा रहे हैं।

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