छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में इंटरनेट ने भी किया परेशान, फ‍िर भी हौसलों से रचा कीर्तिमान

रायपुर। आदिवासी क्षेत्र गरियाबंद ने साबित कर दिया है कि सकारात्‍मक सोच और हौसलों से सफलता हासिल की जा सकती है। गरियाबंद के मनोज कुमार साव और जलसे नेताम ने छत्‍तीसगढ़ का मान बढ़ाया है। आयुष्‍मान भारत कार्ड बनाने में कीर्तिमान रच दिया।

इंटरनेट की समस्‍या ने हर तरफ से परेशान किया, लेकिन हौसलों के आगे वह भी फेल हो गया। आदिवासी इलाकों में इंटरनेट की समस्या से जूझने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने महज तीन दिन में 502 आयुष्‍मान कार्ड बना दिए। इसकी तारीफ अब राष्‍ट्रीय स्‍तर पर हो रही है।

खुद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर मनोज कुमार साव और जलसे नेताम के काम की तारीफ की है। मंत्री ने जानकारी साझा की। रविशंकर प्रसाद ने बताया कि दोनों स्वयंसेवकों ने गरियांबद में तीन दिन में 502 लोगों का आयुष्‍मान भारत कार्ड बनाया है। यह डिजिटल इंडिया के कारण ही सफल हो पाया है। सीएससी वेल्स ने देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत के कार्ड बनाने के लिए आदिवासी बाहुल के अंदरुनी इलाकों में अभियान शुरू किया है।

छत्तीसगढ़ में आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए चलाए जा रहे ‘आयुष्मान आपके द्वार’ कैंपेन का देशभर में डंका बज रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एक दिन में छह लाख 31 हजार कार्ड बनाकर देश में नंबर वन का तमगा हासिल किया था। अब गरियाबंद के आदिवासी इलाकों में इंटरनेट की समस्या से जूझने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने तीन दिन में 502 कार्ड बनाए हैं।

इस कार्ड के माध्यम से लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा प्रदान की जा रही है। छत्तीसगढ़ में आयुष्मान भारत अभियान के प्रभारी डा. श्रीकांत राजिमवाले ने बताया कि प्रदेश में अब तक एक करोड़ 10 लाख लोगों का आयुष्मान भारत कार्ड बना है। इस कार्ड से बीपीएल परिवार को पांच लाख और एपीएल परिवार को 50 हजार तक का मुफ्त इलाज किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत छत्तीसगढ़ के बीजापुर से की थी। वर्ष 2008 में देशभर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की गई थी, जिसमें गरीब परिवार के लोगों को चिकित्सा सुविधा का लाभ देने का प्रविधान था। इसके बाद वर्ष 2012 में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की। इस योजना में उन लोगों को शामिल किया गया, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के दायरे से बाहर थे।

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