छत्तीसगढ़ में कोरोना काल में बच्चों को पढ़ाती रही स्कूटी पर सवार होकर पेटी वाली दीदी
रायपुर। कोरोना काल में कुछ ऐसे शिक्षक रहे जो अपने कर्तव्यों के पालन के लिए नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। ये वो शिक्षक हैं जो न केवल अपने बच्चों के भविष्य की राह सुरक्षित कर रहे हैं बल्कि, कोरोना महामारी के बीच अपने सार्थक उपायों से लाखों शिक्षकों के लिए मिसाल भी बन रहे हैं। पेटी बाली दीदी के नाम से इन दिनों मशहूर हो चुकी शिक्षिका रीता मंडल की कुछ ऐसी ही कहानी है।
राजधानी के पीजी उमाठे हायर सेकेंडरी स्कूल की शिक्षिका हैं। कोरोना काल में जब लोग कुछ को बचाने के लिए परेशान थे तब यह शिक्षिका अपनी स्कूटी में बैठकर अपने बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए स्कूटी की रफ्तार को तेज कर रहीं थीं। स्कूटी पर सवार होकर पीछे पेटी में पठन-पाठन की सामग्री लेकर चलना अब इनकी पहचान सी बन गई।
पूरी व्यवस्था के साथ रीता मंडल महामारी से जंग लड़कर अपने बच्चों के भविष्य को तराशती रहीं हैं। इस बीच रीता मंडल बच्चों के साथ उनकी माताओं को भी पढ़ाती रहीं और इससे छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाना और अधिक आसान हो गया।
इसलिए पेटी लेकर चलती हैं रीता मंडल
रीता मंडल बताती हैं कि कई बार समस्या यह थी कि एक ही स्थान पर सभी कक्षा के बच्चे एकत्रित होते थे। अलग अलग कक्षा के बच्चों को एक साथ पढ़ाना मुश्किल लग रहा था। इसके लिए लिए मैंने नवाचार के रूप में प्रतिदिन जो सभी कक्षा में लागू हो ऐसे संयुक्त टॉपिक्स चुनकर, जैसे आर्टिकल, गणितीय आकृतियां, व्याकरण, पहाड़े, गणितीय संक्रियाएं, दैनिक जीवन में विज्ञान की अवधारणाएं आदि एवं उससे संबंधित एक्टिविटी के जरिए बच्चों को पढ़ाई से जोड़ने का प्रयास किया।
तब मैंने पाया कि एक्टिविटी में कुछ बनाने के लिए बच्चो के पास सामान्य चीजें भी उपलब्ध नहीं है, जैसे गोंद , कैंची, कलर्स, ड्राइंग शीट इत्यादि। तब मन में निश्चय किया कि क्यों न इनके लिए सभी सामान खरीदकर इनके सामने रखा जाये , ताकि वे अपनी पसंद के रंग और सामान चुनकर एक्टिविटी करें। उन्होंने सामानों को खरीदा और एक पेटी में रखकर मुहल्लों में पढ़ाने लगीं।
वार्डों में बनाया अलग-अलग लीडर
शिक्षिका रीता मंडल इस कोरोना काल में भी बच्चों की पढ़ाई के लिए “पढई तुंहर दुआर” पोर्टल के माध्यम से सुचारू रूप से आनलाइन क्लास से बच्चों को पढ़ाई करा रही हैं। साथ ही उन्हें आनलाइन होमवर्क भी देती हैं l जिसे पूर्ण कर बच्चे उन्हें ही प्रेषित कर देते हैं।
शुरुआत में शाला के ज्यादा बच्चे आनलाइन वर्चुअल क्लास में जुड़ नहीं पा रहे थे , जिसके लिए मेरे द्वारा सभी बच्चों का वार्ड के अनुसार समूह बनाया और उस समूह में से एक छात्रा को जो आनलाइन कक्षा नियमित रूप से अटेंड कर रही है, उसे चुनकर वार्ड लीडर का नाम दिया। ये वार्ड लीडर्स अन्य बच्चों से अपने वार्ड में कहीं ना कहीं मिलते ही है जैसे हैंडपंप से पानी भरते वक्त, फल सब्जियां खरीदते वक्त और ऐसे वक्त ये दूसरी छात्राओं को प्रेरित करती हैं।
जो आनलाइन कक्षा से छूट जाते हैं उनके लिए पिछला क्लास
रीता मंडल बच्चों को मोबाइल पर पिछली अपलोड हुए वीडियाे कक्षाओं से भी पढ़ा रही हैं। सिस्को वेबेक्स एप स्वयं डाउनलोड करती है और उन्हें कुछ पिछली कक्षाओं के वीडियो या स्क्रीनशाट दिखाती है, जिससे अब धीरे धीरे अन्य बच्चे भी प्रेरित होने लगे।