छत्तीसगढ़ में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण में अफवाहों का भ्रमजाल
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के फुलबगड़ी में दो दिन पहले आयोजित टीकाकरण शिविर में 70 वर्षीय गंगी और 57 वर्षीय हिड़में ने कोरोना वैक्सीन लगवाया तो सरकार ने इसकी सूचना पूरे प्रदेश को दी। यह कोई पहला मौका नहीं था जब साधारण से टीकाकरण की सूचना पूरे प्रदेश को दी गई।
लाकडाउन बढ़ाने का फैसला
राज्य के शहरी क्षेत्रों से लेकर सुदूर अंचलों में जब भी कोई बुजुर्ग और खास व्यक्ति टीका लगवाते हैं तो उसकी सूचना प्रदेश के हर व्यक्ति तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इसका मकसद टीकाकरण को लेकर फैलाए जा रहे अफवाह और भ्रम को दूर करना है। इन सूचनाओं के माध्यम से सरकार यह बताने और समझाने की कोशिश कर रही है कि टीका पूरी तरह सुरक्षित है।
दरअसल कोरोना के खिलाफ चल रहे टीकाकरण को लेकर इंटरनेट मीडिया में कई तरह के भ्रम फैलाए जा रहे हैं। कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि शुगर, बीपी और अस्थमा के रोगी की टीका लगवाने के बाद मौत भी हो सकती है। एक अफवाह यह भी है कि टीका लगवाने से भविष्य में दिक्कत हो सकती है।
टीकाकरण कराने वाले बुजुर्गों के अनुभव के वीडियो जारी किए जा रहे हैं। विशेषज्ञ डाक्टर वेबिनार के माध्यम से भी लोगों की भ्रांति दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।
टीकाकरण की स्थिति बेहतर
छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन देश में बेहतर है। 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को प्रथम डोज देने में प्रदेश देश में चौथा है। लद्दाख, सिक्किम और त्रिपुरा ही छत्तीसगढ़ से आगे है। 60 वर्ष और उससे अधिक आयुवर्ग के टीकाकरण के मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में लद्दाख, राजस्थान, सिक्किम और त्रिपुरा के बाद पांचवें स्थान पर है।
राज्य में 45 से अधिक उम्र वाले करीब 69 फीसद लोगों को वैक्सीन (टीका) का पहला डोज दिया जा चुका है। 88 फीसद से अधिक हेल्थ केयर वर्कर, 92 फीसद फ्रंट लाइन वर्कर को भी वैक्सीन की पहली खुराक दी जा चुकी है।