सुकमा :कोविड नाका पर नही है कोई सुविधा, 200 मज़दूर सड़क पर ही सोने के लिए मजबूर
सुकमा। छतीसगढ़ के सुकमा जिले से होते हुए अपने घर जाने निकले 200 मजदूर कोविड नाका पर कोई सुविधा नहीं होने के कारण पलायन हो रहे मज़दूरों को बीच सड़क पर ही सोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
कोरोना के लगातर बढ़ रहे आंकड़ों को देखते हुए मज़दूर अपने अपने घर की ओर निकल रहे हैं क्योंकि पिछले बार की तरह इस बार भी घर जाने के लिए अगर कोई साधन नहीं मिल पाने से इन मज़दूरों को पैदल ही अपना घर जाना पड़ सकता है इस डर की वजह से यहाँ मज़दूर वापस आना चालू हो गए हैं क्योंकि ये सीमावर्ती बॉर्डर है जहाँ से आँध्र प्रदेश तेलंगाना काम करने के लिए छत्तीसगढ़ से जाते हैं।
लगभग 200 मजदूरों ने सड़क पर ही अपना बिस्तर बिछाकर विश्राम करते नज़र आए और सभी मज़दूर मध्य प्रदेश मंडला अपने घर की ओर जाना बताया है तेलंगाना व आंध्र प्रदेश काम करने गए मजदूर छतीसगढ के रास्ते मध्यप्रदेश पहुँचने की जुगत में है दरअसल लॉकडाउन के पहले अपने घर तक पहुँचने जाने का जोखिम में डालने से नही चूक रहे है ऐसे नजारा सुकमा जिले के कोंटा में नजर आया यहां पर नेशनल हाइवे पर सेकड़ो मजदूरों का बिस्तर लगा हुआ नजर आया पूछने पर मजदूरों ने बताया सभी रात गुजारने के बाद छतीसगढ़ से होते हुए मध्यप्रदेश के मंडला ,इंदौर जायेंगे वही मजदूरों ने बताया कि वे मध्यप्रदेश के मंडला सिथित गिरोली गांव रहने वाले है वही वारंगल में काम कर रहे थे वे वारंगल से मंडला जाने के लिए कोंटा तक पहुँचे है वही मजदूर कोविड चेक पोस्ट के पास सभी को रोक गया है वही मजदूर रात बिताने के बाद मंडला रवाना होंगे वारंगल से भद्राचलम होते हुए कोंटा पहुँचे है वही मजदूरों के लिए प्रशासन ने भोजन का व्यवस्था किया गया।
मजदूरों का कहना था कि हम 200 मजदूर है जो काम करने खम्बम , वारंगल गए हुए थे लागतार बढ़ रहे कोरोना को देखते हुए हम सभी पिछले वर्ष की तरह लॉक डाउन में ना फस जाए इस कारण हम सभी अपने घर जा रहे है वही अपना रात गुजारने के लिए सड़क पर ही अपना बिस्तर लगा लिए है लगातार देश में बढ़ रहे कोरोना के मामले लोगो को मुसीबत बड़ा रहे है वही कोरोना के डर ने सभी मजदूरों को अपने घर की ओर निकल पड़े है कि दुबारा लॉक डाउन में ना फस जाए।