कोरोना संक्रमण के बीच रात में आबाद होने लगी संभाग की सबसे बड़ी थोक मंडी
बिलासपुर। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच सबसे बड़ा बदलाव संभाग की सबसे बड़ी थोक मंडी व्यापार विहार में देखने को मिल रहा है। बीत ढाई दशक के बाद यह पहला अवसर होगा जब दिन के बजाय रात में थोक मंडी आबाद होने लगी है। मंगलवार से व्यापार विहार में रात में मंडी सजने लगी है। रात में कारोबार होने की स्थिति में नजारा भी बिल्कुल बदला नजर आ रहा था। दिन जैसा चहल-पहल।
थोक मंडी में मंगलवार को रात 10ः30 बजे के बाद व्यापारियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ। व्यापारियों के आने से पहले दुकान की व्यवस्था संभालने वाले, खुदरा व्यापारियों को मांग के अनुसार सामान की आपूर्ति करने वाले कर्मचारी पहुंच गए थे। व्यापारियों ने अपने कर्मियों को पहले पहुंचने की सूचना दे दी थी। लिहाजा कर्मचारी दुकान खुलने से पहले ही अपनी दुकानों के सामने और विशाल मंडी परिसर में निश्चित दूरी बनाकर बात करते खड़े हुए थे। रात 11 बजे बजते-बजते विशाल मंडी परिसर में स्थित दुकानों का शटर खुलना शुरू हुआ। पांच से 10 मिनट तक शटरों की आवाजें आती रहीं। इसी बीच खुदरा व्यापारी भी अपनी सुविधानुसार वाहन लेकर पहुंचने लगे थे। सामान परिवहन करने वाले लोग भी अपने वाहन पार्किंग में खड़ी कर दुकानों के पास पहुंचने लगे थे। सब-कुछ नियंत्रित और व्यवस्थित दिखाई दे रहा था। व्यापार से संबंधित सारे लोग अपनी पूर्व निर्धारित जगहों पर पहुंच गए थे। रात साढ़े 11 बजते-बजते थोक मंडी में कारोबार शुरू हो गया। जैसे-जैसे रात गुजरती गई मंडी में उसी रफ्तार से व्यापार ने भी रफ्तार पकड़ना शुरू कर दिया।
कोविड-19 प्रोटोकाल का करते रहे पालन
कोरोना की खतरनाक होती दूसरी लहर का असर भी थोक मंडी में दिखाई दिया। व्यापारी से लेकर खुदरा व्यापारी और सामान आपूर्ति करने वाले कर्मचारी से लेकर माल परिवहन करने वाले मालवाहक मास्क पहने नजर आए। वाहनों में सामान लोडिंग-अनलोडिंग करने वाले भी गमछा से मुंह ढंके हुए थे।
सुबह साढ़े तीन बजे तक हुआ व्यापार
थोक मंडी में सुबह साढ़े तीन बजे तक सामान की आपूर्ति के साथ खरीदी-बिक्री होती रही। बुधवार को भी तय समय पर व्यापारी थोक मंडी पहुंचे व अपना कारोबार शुरू किया। कोरोना संक्रमण के इस दौर में यह पहली बार हुआ जब दिन के बजाय रात में थोक मंडी में कारोबार हुआ। कलेक्टर का यह प्रयोग सफल होते दिखाई दे रहा है। रात्रि में खुदरा व्यापारियों को सामान की आपूर्ति के कारण व्यापारी खरीदारी कर जाते रहे। भीड़ भी नियंत्रित रही।