भारत में सिंगल डोज़ वाले स्पुतनिक लाइट कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मिली मंजूरी
नई दिल्ली। कोरोना संकट और वैक्सीन की कमी से जूझ रहे भारत ने रूस की सिंगल डोज़ कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक लाइट को देश में इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाज़त दे दी है. सरकार के इस फैसले से देश में चल रहे कोरोना वैक्सीनेशन अभियान को और गति मिलेगी.
गुरुवार को रूस ने दी इस वैक्सीन को मंज़ूरी-
आपको बता दें कि रूस ने अपने टीके स्पूतनिक-वी की सिंगल डोज़ वाले संस्करण स्पुतनिक लाइट को गुरुवार को यह तर्क देते हुए नियामक मंजूरी प्रदान कर दी कि इस कदम से कोरोना वायरस के खिलाफ सामूहिक प्रतिरक्षा प्राप्त करने की प्रक्रिया में तेजी आ सकती है.
टीके के इस संस्करण का नाम स्पूतनिक लाइट है और यह दो-खुराक वाले स्पूतनिक-वी की पहली खुराक के समान है. इसे अभी तक स्थापित वैज्ञानिक प्रोटोकॉल के अनुरूप इसकी सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उन्नत परीक्षण पूरा करना बाकी है.
आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार रूस ने जनवरी में स्पूतनिक लाइट का मानव परीक्षण शुरू किया था और अध्ययन अभी भी जारी हैं. स्पूतनिक लाइट रूस में स्वीकृत चौथा घरेलू विकसित कोविड-19 रोधी टीका है, जिसे देश में मंजूरी दी गई है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे उपयोग के लिए अधिकृत करने के निर्णय पर टिप्पणी करते हुए गुरुवार को कहा, यह जानकर अच्छा लगा कि (कोविड-19 के खिलाफ) इस उपकरण का विस्तार हो रहा है.
कोरोना वायरस पर करीब 80 फीसदी अरसदार-
आपको बता दें कि यह वैक्सीन सभी तरह के नए कोरोना स्ट्रेन में असरदार है. रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी. इस कदम से उन देशों को मदद मिलेगी जहां पर कोरोना संक्रमण के काफी अधिक मामले आ रहे हैं.
स्पुतनिक लाइट वैक्सीन की डोज जिन लोगों को दी गई उनमें 91.7 फीसदी लोगों को वैक्सीन लगने के 28 दिन बाद वायरस न्यूट्रिलाइज एंटी-बॉडिज बन गई थी. जबकि, 96.9 फीसदी लोगों में एंटीजन स्पैसिफिक एंटी-बॉडिज डेवलप हो चुका था.
स्पुतनिक के इस लाइट वर्जन कोरोना वैक्सीन को मॉस्को के गमलेया इंस्टीट्यूट ने तैयार किया है. आरडीआईएफ ने बताया कि यह 79.4 फीसदी प्रभावी है और एक डोज की कीम 10 डॉलर से कम है.