राजधानी में कोरोना के चलते लगी ड्यूटी अपने मासूम बच्चों को रोज मायके छोड़ती है मां
रायपुर। राजधानी के कुशालपुर की रहने वाली शिक्षिका ज्योति बंजारे कोरोना काल में दोहरी भूमिका निभा रही हैं। वह अपने चार साल के बच्चे तेजस और एक साल के बच्चे तन्मय को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए सालभर से मशक्कत कर रही हैं। पहले बच्चों को रायपुर में ही अपने मायके छोड़ती हैं फिर अपने पति के साथ कोरोना की ड्यूटी में जुट जाती हैं।
दरअसल, ज्योति बंजारे सरकारी प्राइमरी स्कूल कुशालपुर में शिक्षिका हैं, इसी स्कूल में उनके पति पूरनदास बंजारे भी शिक्षक हैं। दोनों ही कभी मोहल्लों में घूमकर बच्चों को पढ़ाई कराते तो कभी कोरोना की ड्यूटी करते हैं। पिछले एक साल से शिक्षक दंपति ने छुट्टी नहीं ली है।
पिछले छह महीने से लगातार कोरोना की ड्यूटी में ज्योति और उनके पति पूरनदान घूम-घूमकर कोरोना मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों को खोजते हैं। काम ऐसा है कि कोरोना से संक्रमित होने का भय रहता है , ऐसे में मां अपने बच्चों को छूने पहले घर जाकर सैनिटाइज होती हैं और नहाती हैं। इसके बाद अपने बच्चों को मायके से घर लाती हैं। यह सिलसिला लगातार चल रहा है।
जिला शिक्षा अधिकारी एएन बंजारा कहते हैं कि देश की रक्षा के लिए काम करने वाला व्यक्ति सिपाही होता है। ज्योति जैसे कर्तव्य परायण शिक्षक उनमें से एक हैं। एक तरफ अपना दायित्व और दूसरी तरफ मां होने का पूरा फर्ज निभाने में उनकी कर्तव्यनिष्ठता सम्मानजनक है। हम ऐसे शिक्षकों को तहेदिल से सम्मान करते हैं।
बतादें कि बाकी शिक्षक अपनी ड्यूटी कटवाने के लिए आवेदन भी करते हैं लेकिन ये दोनों ही शिक्षक दंपति इस काम को देश सेवा के रूप ले रहे हैं। शिक्षक ज्योति बंजारे कहती हैं कि ड्यूटी जाने से पहले ससुराल से मायके जाकर अपने बच्चे को अपनी मां के यहां छोड़ती हूं। पूरी तरह से खुद को सैनिटाइज करने के बाद दोबारा बेटे को अपने पास ले जाती हूं।