नर्स डे स्पेशल : 62 साल के उम्र में भी नर्स के पद पर सेवा रही बेला बदेशा, कर रही लोगों को प्रेरित
कोंडागांव। कोरोना के कहर के बीच कोरोना योद्धाओं के त्याग, समर्पमण और सेवा के किस्से प्रेरित करने वाले हैं। देश के कोने-कोने में विषय हालात में ये संकट के सिपाही दिन-रात मरीजों की सेवा में जुटे हुए हैं इसी कड़ी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फरसगांव में पदस्थ नर्स श्रीमती बेला बदेशा इस महामारी के बीच कोरोना योद्धा के रूप में 62 वर्ष की उम्र में भी अपनी सेवाएं दे रहीं हैं।
बता दें कि स्वास्थ्य केंद्रों में जितनी अहम् भूमिका चिकित्सकों की होती है उतनी ही मरीजों कि देखभाल करने वाली नर्स की भी होती है। चिकित्सकों का काम केवल मरीजों के उपचार करना जबकि उसके बाद नर्स अपनी ड्यूटी खत्म होते तक उसी मरीज की देखभाल करती हैै, चाहे आम दिनों की तरह साधारण ड्यूटी हो या राष्ट्रीय आपदा घोषित हो चुकी कोरोना जैसी बीमारी हो नर्स कभी ड्यूटी से पीछेे नहींं हटती। मरीज का उपचार से लेकर स्वास्थ्य होने तक उसे दवाई देने के साथ मनोबल देने का भी काम करती हैै। इन्हीं नर्सो के सम्मान में हर साल 12 मई को दुनिया भर में विश्व नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है, ऐसे ही स्वास्थ्य संदर्शिका श्रीमती बेला बदेशा जो 39 वर्षों से स्वास्थ्य विभाग से जुड़कर अपनी सेवा दे रही और मात्र कुछ ही महीने बाकी है.
नगर पंचायत फरसगांव निवासी श्रीमती बेला बदेशा 62 वर्ष की उम्र में स्वास्थ्य सेवा में जुड़कर 39 वर्ष से सेवा दे रही है, उन्होंने अपने स्वास्थ्य सेवा के बारे में कहा कि 1982 से अपनी स्वस्थ्य विभाग में बहुउद्दशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पद पर सेवा प्रारम्भ की और लगातार आज तक अपनी सेवाएं दे रही है, उन्होंने आगे बताया कि वे पहली ड्यूटी के दौरान 10-12 किलो मीटर पैदल चलकर गांव गांव जाकर ग्रामीणों का उपचार कर दवाई देते थे उन्हें कोई संदेश भी देना था तो वे पैदल ही गावों में जाकर उन्हें स्वस्थ्य सेवा की जानकारी देते थे।1996 में उनका स्वास्थ्य संदर्शिका के पद पर पदोन्नति हुई , जिसके बाद से वे फरसगांव अस्पताल में लगातार अपनी सेवाएं दे रही है।
उन्हें पता है कि अधिक उम्र के लोगों पर कोरोना संक्रमण की डर ज्यादा होने के वावजूद भी कोरोना काल में भी कोविड-19 के दौरान प्राथमिकता से अपनी अपनी सेवा देने को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर उन्हें सलाम करता है।