राजधानी में ब्लैक फंगस से महिला ने खोई आंखों की रोशनी, 30 मरीज से अधिक मरीज मिले
रायपुर। छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) का खतरा बढ़ रहा है। इसमें एम्स में 21, आम्बेडकर में दो, रामकृष्ण केयर अस्पताल में पांच, श्रीबालाजी अस्पताल में दो केस मिले हैं। वहीं रामकृष्ण अस्पताल में कोविड से के बाद ब्लैक फंगस की वजह से राजधानी निवासी 40 वर्षीय एक महिला के आंख की रोशनी चली गई।
अस्पताल प्रबंधन ने बताया महिला करीब डेढ़ महीने पहले संक्रमित होने पर महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया था। बाद में ब्लैक मरीज में ब्लैक फंगस की पहचान की गई। इस बीच इनके एक आंख की रोशनी चली गई है। महिला स्वस्थ है और फालोअप इलाज चल रहा है।
सरकार ने अलर्ट जारी किया है। औषधि विभाग द्वारा जिला स्तर पर बीमारी में कारगर दवा पोसाकोनाजोल, एम्प्रोटेरेसिन-बी को आवश्यक दवाओं की श्रेणी में रखा है। साथ ही मेडिकल दुकानों से इसकी उपलब्धता की जानकारी मांगी गई है। इन दवाओं का पहले उपयोग नहीं होने की वजह से थोक दवा बाजार में यह दवा न के बराबर उपलब्ध है।
राजधानी दवा विक्रेता संघ के मुताबिक, थोक दवा बाजार में पोसाकोनाजोल का स्टाक शून्य और एम्प्रोटेरेसिन-बी इंजेक्शन के 100 वायल उपलब्ध थे। जिला दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष विनय कृपलानी ने बताया कि पोसाकोनाजोल, एम्प्रोटेरेसिन-बी की मांग काफी कम होती थी, इसलिए बाजार में न के बराबर उपलब्ध है। रायपुर थोक दवा बाजार में पोसाकोनाजोल का स्टाक है ही नहीं। जबकि एम्प्रोटेरेसिन-बी इंजेक्शन 100 वायल ही मौजूद थे। इसमें भी दवाओं के आर्डर आये थे।
ब्लैक फंगस पुरानी बीमारी, लेकिन समस्या अब अधिक
चिकित्सा विशेषज्ञों ने बताया कि ब्लैक फंगस काफी पुरानी समस्या है। लेकिन इसके बहुत ही कम मरीज देखने को मिलते थे। एम्स में साल में लगभग चार से पांच केस, वहीं आंबेडकर अस्पताल में भी साल में करीब पांच मरीज ही आते थे। कई प्राइवेट अस्पतालों में तो इस बीमारी के मरीज कभी आये ही नहीं।
इन अस्पतालों में ब्लैक फंगस के केस
अस्पताल – केस
एम्स – 21
आम्बेडकर अस्पताल – 02
रामकृष्ण केयर अस्पताल – 05
श्रीबालाजी अस्पताल – 02
सेक्टर -9 अस्पताल भिलाई – 01
आंकड़ों पर एक नजर
1,22,798 कोरोना के सक्रिय मरीजों का चल रहा है इलाज
30 अधिक मरीज अभी ब्लैक फंगस के सामने आ चुके हैं
01 मरीज की हुई मौत, कोरोना के बाद ब्लैक फंगस की शिकायत
40 वर्षीय महिला के एक आंख की रोशनी इस बीमारी ने छीनी
कोरोना के बाद मरीजों में यह समस्या अधिक सामने आ रही है। इनके लक्षणों में आंख से कम दिखना, नाक बंद या खून आना, चेहरे में सूजन जैसे लक्षण हैं। ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर इलाज कराना जरूरी होता है। फंगस नाक के रास्ते जाता है, जो आंखों को इफेक्ट करता है। इससे आंखों की रौशनी भी चली जाती है। नाक से इसका सैंपल लेकर कंफर्म किया जाता है। किसी को भी ऐसे लक्षण हो तो जांच कराएं।
– डॉक्टर नितिन एम नागरकर, डायरेक्टर, एम्स
डेढ़ महीने पहले 40 वर्षीय महिला कोरोना संक्रमित होने के बाद क्रिटिकल केयर में भर्ती थी। स्वस्थ होने के बाद ब्लैक फंगस इंजेक्शन मिला। इसकी वजह से उसके एक आंख की रोशनी चली गई है। अभी भी उसका फालोअप ट्रिटमेंट अस्पताल में चल रहा है। कोरोना से पहले अस्पताल में कभी ब्लैक फंगस के मामले आये ही नहीं। अभी चार पांच केस आ चुके हैं। इस केस में गंभीर रोगी अधिक आ रहे।