छत्तीसगढ़

प्रदेश में नक्सल क्षेत्र के डाक्टर अमेरिका से सीख रहे क्रिटिकल केयर मैनेजमेंट

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में कोरोना को कंट्रोल करने के लिए अब अमेरिका के विशेषज्ञों की राय ली जा रही है। बस्तर के सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर के चिकित्सक अमेरिकी विशेषज्ञों से क्रिटिकल केयर मैनेजमेंट का पाठ सीख रहे हैं।

फंगस के अब तक 76 मामले

दरअसल, राज्य सरकार ने अमेरिका की सबसे बड़ी मेडिकल क्लीनिक मेयो क्लीनिक के साथ वर्चुअल कंसलटेंसी शुरू की है। इसमें प्रदेश के सभी स्वास्थ्य केंद्र के डाक्टर, चिकित्सा स्टाफ जुड़कर अपने सवालों को पूछ रहे हैं। एनएचएम के कार्यक्रम संयोजक डा. जावेद कुरैशी ने बताया कि कोविड केयर से जुड़े मेडिकल अफसर और विशेष इस कार्यक्रम से जुड़ रहे हैं।

मेयो क्लीनिक के विशेषज्ञ एक-एक सवाल का बारीकी से जवाब दे रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के डाक्टरों ने पूछा कि क्रिटिकल केयर मैनेजमेंट में कोविड के मरीज के लिए क्या करना चाहिए। दंतेवाड़ा की डा. निधि मेश्राम ने पूछा कि टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर दवाओं को किस तरीके से दिया जाना चाहिए।

डाक्टरों ने वैक्सीन के डोज के बीच अंतर, मरीज को आक्सीजन की जरूरत हो तो किस तरह से संभालना चाहिए, जैसे विषयों के बारे में जानकारी ली। सरगुजा के डाक्टरों ने पूछा कि दवा की अधिकता के कारण भी मरीजों में अन्य तरीके के लक्षण पैदा हो रहे हैं, उससे बचने के लिए क्या करना चाहिए।

इन सवालों पर हुई लंबी चर्चा

हवा या सतह पर कोरोना का वायरस कितनी देर तक रह सकता है। कोविड अस्पताल में सतह को संक्रमण से बचाने के लिए क्या करना चाहिए। इसके जवाब में प्रिया संपत कुमार ने कहा कि सतह पर संक्रमण साफ किया जा सकता है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावी तरीका मास्क लगाना है। सतह पर संक्रमण से बचने में भी मास्क प्रभावी है।

सतह की सफाई ज्यादा प्रभावी नहीं है, क्योंकि वहां संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है। एक चिकित्सक ने पूछा कि वैक्सीन सिर्फ एक बार लगाना है या फिर हर साल लगाना होगा। इसके जवाब में प्रिया ने कहा कि कुछ वैक्सीन छह महीने तक बचाव कर रही है, कुछ वैक्सीन एक साल तक सुरक्षा दे रही है। यह वैक्सीन के आधार पर तय करना होगा।

इन मुद्दाें पर हो चुकी है चर्चा

मेयो क्लीनिक के कार्यक्रम में अब तक क्रिटिकल केयर, बच्चों को संक्रमण से कैसे बचाएं, संक्रामक बीमारी से बचाव के लिए कौन से विधि अपनाई जाए, हृदय रोग के मरीज को कोरोना होने पर किस तरीके से बचाव किया जाए, जैसे विषयों पर प्रदेश के चिकित्सकों को आनलाइन जानकारी दी गई है। मेयो क्लीनिक में 400 विशेषज्ञ हैं, जो अलग-अलग विषय पर चर्चा करेंगे।

रोज डेढ़ घंटे का चल रहा सेशन

एक्सटेंशन फार कम्युनिटी आउटरीच इस कार्यक्रम को तकनीकी सपोर्ट दे रहा है। कार्यक्रम रोजाना शाम साढ़े छह से आठ बजे तक चलता है। पिछले दो सेशन में प्रदेश के 100 से ज्यादा विशेषज्ञ और चिकित्सक शामिल हुए हैं। इस कार्यक्रम में रायपुर के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जा रहा है। हृदय रोग विशेषज्ञ डा. स्मित शर्मा ने छत्तीसगढ़ में संक्रमण और हार्ट अटैक के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

इस तरीके से हो रहा संक्रमण

मिड या माडरेट लक्षण-81 फीसद

गंभीर लक्षण-आक्सीजन की जररूत-14 फीसद

अति गंभीर-आइसीयू-05 फीसद

90 फीसद बच्चों में मिल रहा माइल्ड या कमजोर वायरल लोड

10 से 14 दिन में ठीक हो रहे माइल्ड सिम्टम वाले मरीज

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