छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में सिर्फ ढाई साल में बदली इस जिले की तस्वीर, शुरू हुए बंद पड़े स्कूल, कुपोषण की दर में बड़ी गिरावट

सुकमा। जिस जिले की पहचान कभी कुपोषण, बेरोजगारी, अशिक्षा और नक्सलियों के खौफ के कारण हुआ करती थी, केवल ढाई वर्षों में वहां की तस्वीर बदल चुकी है। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में विकास और विश्वास की नई बयार बह रही है। खौफ के काले बादल छंट रहे हैं और सुदूर इलाकों तक शांति की किरणों पहुंच रही है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुकमा जिले के विकास को अपनी प्राथमिकताओं की सूची में सबसे ऊपर रखा है।यही कारण है कि पिछले ढाई वर्षों से इस जिले का विकास नए नजरिए के साथ किया जा रहा है।

स्थानीय लोगों की आकांक्षाओं, उनकी जरुरतों, समस्याओं और चुनौतियों का आंकलन कर जिले के विकास की रणनीति नए सिरे से तैयार की गई। इसमें स्थानीय लोगों की भागीदारी तय की गई है। अब यहां के गांवों में ग्रामीण खुशहाल, स्वस्थ और शिक्षित जीवन जीते हैं। जिले में जहां पिछले ढाई सालों में कुपोषण की दर में कमी आई है तो वहीं शिक्षा के स्तर में बढ़ोतरी हुई है और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हुआ है।

गांव-गांव तक पहुंच रही शिक्षा

जिले में बंद पड़े स्कूलों के पुनः संचालत से अंदरुनी गांवों के बच्चों को गृह ग्राम के नजदीक ही शिक्षा पाने का अवसर मिल रहा है। वर्ष 2006 में सलवा जुडूम आंदोलन का असर जिले के कोंटा क्षेत्र के गांवों में ज्यादा रहा। विकासखंड कोंटा अंतर्गत वर्ष 2006 से पहले 275 प्राथमिक और 66 माध्यमिक शालाएं संचालित थी, लेकिन वर्ष 2006 में नक्सलवादियों की ओर से बहुत सी शालाओं को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।

इसके फलस्वरुप 102 प्राथमिक और 21 माध्यमिक शालाओं को या तो बंद करना पड़ा था या फिर शिफ्ट कर संचालित करना पड़ रहा था। शासन एवं जिला प्रशासन सुकमा की पहल से वर्ष 2018-19 में इन बंद शालाओं का संचालन पुनः प्रारंभ किया गया। वर्तमान में ऐसे 92 स्कूलों को पुनः संचालित किया जा रहा है, जिनमें 4 हजार 172 विधार्थी अध्यनरत हैं। इसके साथ ही संबंधित पंचायत के स्थानीय 12वीं उत्तीर्ण युवक-युवतियों को पंचायत के प्रस्ताव के आधार पर स्कूलों में शिक्षादूत के रूप मे नियुक्त किया गया है।

प्रारंभ में शालाओं के संचालन के लिए स्थानीय स्तर पर झोपड़ियों का निर्माण किया गया था। वर्तमान मे शासन एवं प्रशासन स्तर पर 60 शाला भवनों और 34 अतिरिक्त कक्ष निर्माण की स्वीकृति प्रदाय कर भवनों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से 22 भवनों का निर्माण पूर्ण हो चुका है और शेष भवन भी जल्द ही पूर्ण कर लिए जाएंगे। शालाओं में शासन की ओर से संचालित विभिन्न योजनाओं, जैसे मध्यान्ह भोजन, निःशुल्क पाठ्य-पुस्तक, गणवेश आदि का लाभ विद्यार्थियों को मिल रहा है।

 

सुपोषण अभियान से संवर रही बच्चों की सेहत

छत्तीसगढ़ शासन की ओर से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान वर्ष 2019 से प्रारंभ किया गया है। इसके अंतर्गत जिला प्रशासन सुकमा और महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जिले के बच्चों को कुपोषण से बाहर निकालने के उद्देश्य से संवरता सुकमा कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वर्ष 2019 के वजन त्योहार में जिले में कुपोषण की दर 45 प्रतिशत थी। इस कार्यक्रम की बदौलत विगत दो वर्षों में ही कुपोषण की दर में 9 प्रतिशत की गिरावट आई है।

आंगनबाड़ी केन्द्रों में प्रदाय किए जा रहे गरम और पौष्टिक आहार के साथ ही समय-समय पर बच्चों एवं महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच भी की जाती है। जिले के अंदरुनी क्षेत्रों में विगत दो वर्षों में 36 नवीन आंगनबाड़ी केन्द्रों का संचालन किया गया है।

अंदरुनी क्षेत्रों के 55 आंगबाड़ी भवन सहित कुल 178 नवीन भवन का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ है। जिले में वर्तमान स्थिति में कुल 963 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित है। इसमें 665 केन्द्र आंगनबाड़ी भवनों में संचालित किए जा रहे हैं और 200 आंगनबाड़ी केन्द्र निर्माणाधीन है।

 

बेहतर हुई स्वास्थ्य सुविधाएं

सुकमा जिले में समय के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार होने से अब लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने लगी हैं। इससे सीमावर्ती अन्य राज्यों पर जिले के लोगों की निर्भरता कम होने लगी है। कोंटा विकासखंड के अंतर्गत विगत दो वर्षों में उप स्वास्थ्य केन्द्रों में 21 एएनएम और 13 पुरूष स्वास्थ्यकर्ताओं की भर्ती की गई है।

वर्ष 2018 में केवल 1303 मितानिनें अपनी सेवाएं दे रही थी। आज कुल 1446 मितानिनों के माध्यम से जिले के दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावी रुप से पहुंच रही है। संस्थागत प्रसव के मामले में भी जिले में सफलता हासिल की गई है।

वर्ष 2018 में जहां 70.3 प्रतिशत प्रसव अस्पतालों एवं चिकित्सा केन्द्रों में किए गए। यह आंकड़ा बढ़कर 2020-21 में 91.6 प्रतिशत हो गया है। संवेदनशील क्षेत्रों जैसे गोलापल्ली में 89.2 प्रतिशत, जगरगुण्डा में 113.3 प्रशित, चिन्तागुफा में 122.5 प्रतिशत और चिन्तलनार में 146.7 प्रतिशत संस्थागत प्रसव शामिल है।

गर्भवती माताओं को तत्काल स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने एवं संस्थागत प्रसव तय करने के लिए 5 बिस्तरीय 19 प्री-बर्थ प्रतीक्षा केन्द्र का स्थापित किए गए हैं। विगत ढाई वर्षों में जिले में कुल 10 नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्र व 1 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया और 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र निर्माणाधीन हैं।

वर्तमान में जिले में कुल 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं 89 उप स्वास्थ्य केन्द्र संचालित हैं।इससे पहुंचवीहिन क्षेत्रों के निवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं अल्प समय में ही उपलब्ध हो रही हैं। ग्रामीणों की छोटी मोटी स्वास्थ्यगत परेशानियों का निदान नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में हो जाता है।

जिले में मलेरिया के प्रकोप पर प्रभावी नियंत्रण हासिल किया गया है। 2018 में जहां 11 हजार 698 लोग मलेरिया संक्रमित पाए गए थे। अब यह आंकड़ा घटकर केवल 1612 तक सिमट गया है। आज की स्थिति में पॉजिटिविटी दर 17 प्रतिशत से घटकर केवल 8.9 प्रतिशत रह गई है।

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