छत्तीसगढ़ में चार लाख के लिए 15 हजार दिए बाबू को, फिर मांगे पांच हजार रुपये, आरोप
सुकमा। पानी में डूबने से मृत एक व्यक्ति के स्वजनों को सालभर बाद भी मुआवजा नहीं मिला। फाइल को आगे बढ़ाने के लिए बाबू ने पहले 15 हजार लिए, फिर पांच हजार रुपये की डिमांड की। पैसे नहीं देने के कारण फाइल अब भी अटकी हुई है। विभाग के अधिकारी मामले की जांच करने व मुआवजा देने की बात कह रहे हैं।
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जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर डोडपाल पंचायत निवासी वेट्टी हूंगा की मौत 15 जुलाई 2020 को गांव के समीप नाले में डूबने से हो गई थी। उसका शव दूसरे दिन घर वालों को मिला था। मृतक की पत्नी सोमड़ी वेट्टी, मां हिड़मे, बेटा बुध्ारा ने सरपंच के साथ गादीरास थाने में सूचना दी।
शव का पोस्टमार्टम कर स्वजनों को सौंपा गया था। मौत के कुछ दिन बाद फाइल आगे बढ़ी और तहसील कार्यालय से होते हुए अपर कलेक्टर कार्यालय पहुंची। मृतक के स्वजनों को चार लाख की सहायता राशि मिलनी थी लेकिन वहां तैनात बाबू चंद्रशेखर चंद्राकर ने स्वजनों से 20 हजार रुपये की डिमांड की।
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मृतक के स्वजनों ने एक बकरा 11 हजार व एक सुअर आठ हजार में बेचा। इसके बाद बाबू को 15 हजार रुपये ले जाकर दिए। उसके बाद आज-कल की बात कहकर दो माह तक प्रकरण स्वीकृत नहीं हुआ।
स्वजनों ने फिर बाबू से संपर्क किया तो उसने फिर पांच हजार की डिमांड की। स्वजनों ने रकम न होने की बात कही तो फाइल रोक दी गई। मृतक का बेटा और कालेज छात्र बुधरा वेट्टी ने बताया कि पिता की मौत के बाद वह पढ़ाई छोड़कर घर का काम कर रहा है।
नईदुनिया को बुधरा ने बताया कि पहली बार किसी तरह जुगाड़ कर रकम दे दी लेकिन फिर पांच हजार की डिमांड बाबू कर रहा है। सहायता राशि मिलने के बाद रकम देने की बात भी कही, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है बल्कि प्रकरण खारिज करने की धमकी दी जा रही है।
सहायक ग्रेड दो चंद्रशेखर चंद्राकर का कहना है कि मृतक वेट्टी हुंगा प्रकरण में दिए गए पटवारी प्रतिवेदन में कई त्रुटियां थीं, इसलिए प्रकरण बनाने में देरी हो रही है। पैसे लेने का आरोप सरासर गलत है। मैंने न तो पैसे लिए गए और न ही डिमांड की गई।
इस संबंध में सुकमा के अपर कलेक्टर ओपी कोसरिया ने कहा कि यह प्रकरण मेरे समक्ष आया है। इसकी जांच की जाएगी। मुआवजा देने में देरी कहां हुई, यह भी जांच का विषय है।