छत्तीसगढ़

गोधन न्याय योजना : प्रदेश में वर्मी कम्पोस्ट बनाने व बिक्री करने में रायगढ़ जिला पहल पायदान पर

रायगढ़। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वपूर्ण गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन में रायगढ़ जिला पहले पायदान पर है। योजना के अंतर्गत प्रदेश में रायगढ़ जिले में अब तक सर्वाधिक वर्मी का उत्पादन और विक्रय किया गया है। जिले में योजना अंतर्गत कुल 222 सक्रिय गौठान हैं। जिनमें से 2645167 किग्रा खाद का निर्माण किया गया है। जिसमें से लगभग 1226665 किग्रा खाद की बिक्री की जा चुकी है। जिसकी कुल विक्रय राशि लगभग 1 करोड़ 22 लाख 15 हजार 765 रुपये है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए योजना की शुरुआत की गयी है। यह योजना ग्रामीणों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है। रायगढ़ जिले में योजना के सफल क्रियान्वयन के कलेक्टर श्री भीम सिंह लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। वे गौठानों का लगातार निरीक्षण कर, वहां के नोडल अधिकारियों की नियमित बैठक लेकर गौठान स्तर पर क्रियान्वयन की समीक्षा कर रहे हैं।

कलेक्टर सिंह ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि गोधन न्याय योजना मूल रूप से गौठान को स्वावलंबी बनाने की योजना है। गौठान के स्वावलंबी होने से किसानों की आय वृद्धि में मदद मिलेगी इसके साथ ही जैविक खेती को भी बढ़ावा देने में सहयोग मिलेगा। उल्लेखनीय है कि बड़े पैमाने पर किसान गोधन योजना का लाभ लेने आगे आ रहे हैं। वे गोबर बेच रहे हैं और इससे उन्हें अतिरिक्त आय हासिल हो रही है। किसान इस वजह से पशुपालन की ओर भी प्रेरित हो रहे हैं इससे पशुपालन को भी बढ़ावा मिल रहा है और अंतत: कृषि के साथ पशुपालन को बढ़ावा देने से ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिल रहा है। इसी का परिणाम है कि वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण और इसकी बिक्री के मामले में प्रदेश में रायगढ़ जिला अग्रणी है।

पशुपालकों को शत-प्रतिशत भुगतान करने वाला भी प्रदेश में पहला जिला रायगढ़-

कलेक्टर श्री सिंह के मार्गदर्शन में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत पशुपालकों को शत-प्रतिशत भुगतान करने वाला पहला जिला भी रायगढ़ ही है। कलेक्टर श्री सिंह के निर्देश पर सीईओ जिला पंचायत डॉ.रवि मित्तल ने इसके लिए सहकारिता विभाग और अपेक्स बैंक के अधिकारियों के साथ लगातार पेमेंट का रिव्यु किया। जहां पशुपालकों द्वारा खाते की सही जानकारी नहीं दी गयी थी उनके खाता त्रुटि सुधार करने के साथ अन्य तकनीकी समस्याओं के चलते भुगतान लंबित था, उस प्रत्येक प्रकरण को चिन्हांकित कर उसमें जरूरी सुधार कर और राज्य स्तर से चिप्स से समन्वय कर पेमेंट करवाना सुनिश्चित किया गया। जिसके फलस्वरूप जिले के पशुपालकों का भुगतान पूरा हुआ। इससे अगले चक्र के भुगतानों में पशुपालकों को तकनीकी समस्यायों के चलते भुगतान में विलंब न हो यह भी सुनिश्चित होगा

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