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प्राकृतिक औषधि का खजाना है जामुन, जानिए इसके रोगों में बेहद गुणकारी फायदे

कोरोना काल में लोगों ने पेड़-पौधों का मूल्य समझा है। ऐसा ही एक सदाबहार वृक्ष है जामुन। यह सल्फर आक्साइड और नाइट्रोजन जैसी जहरीली गैसों को हवा से सोख कर उन्हें आक्सीजन में बदल देता है। कई दूषित कणों को भी जामुन का पेड़ ग्रहण करता है।

जामुन का फल, गुठली, छाल और पत्ते औषधीय गुणों से भरपूर हैं। एक तरह से यह प्राकृतिक औषधि का खजाना है। आयरन, विटामिन-ए, सी, कैरोटीन और अन्य पोषक तत्व इसमें प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। एंटीआक्सीडेंट होने के कारण यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और रक्तचाप नियंत्रित रखता है। बता दें, जामुन के पेड़ की उम्र 80 से 90 साल तक मानी जाती है।

जामुन के बीज को अंकुरित होने के लिए लगभग 20 डिग्री सेल्सियस और वृक्ष को विकसित होने के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है। अच्छी पैदावार के लिए इसका रोपण उचित जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में किया जाता है।

ऐसे और इस समय लगाएं – पौधारोपण के लिए वर्षा ऋतु से पूर्व एक घन मीटर आकार के गड्ढे तैयार करें। इनमें मिट्टी तथा सड़ी हुई खाद (बराबर अनुपात में) और क्विनालफास (50- 100 ग्राम) के मिश्रण से भरना चाहिए। बारिश में इन गड्ढों में जामुन की पौध लगानी चाहिए। जामुन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन व कैल्शियम के साथ प्रति 100 ग्राम में दो मिलीग्राम तक आयरन भी पाया जाता है।

उपयोग और फायदे-

जामुन में कैंसर रोधी गुण भी पाए जाते हैं। कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के बाद जामुन खाना फायदेमंद होता है।

जामुन खाने से पथरी की समस्या से निजात मिलती है। इसके लिए जामुन की गुठली के चूर्ण को दही के साथ मिलाकर खाना चाहिए।

कान के लिए- पस निकलने या घाव होने पर जामुन की गुठली पीस कर शहद मिलाएं। इसे दो बूंद कान में डालें, कान का दर्द दूर होगा।

दांतों के लिए- जामुन के सूखे पत्तों को जलाकर इसकी राख से दांतों व मसूढ़ों पर मालिश करें। मजबूती बढ़ती है। पायरिया भी ठीक होता है।

मुंह व गले के लिए- मुंह में छाले हो जाएं तो पत्तों के रस से कुल्ला करें। जामुन का सेवन करने से गले के रोग भी ठीक होते हैं।

मधुमेह में संजीवनी- गुठली को सुखाकर चूर्ण बना लें। इसे दिन में तीन बार लेने से मधुमेह नियंत्रित रहता है। मधुमेह के टाइप-2 रोगियों के लिए तो यह किसी संजीवनी से कम नहीं है।

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