छत्तीसगढ़

आवारा मवेशियों , बंदरों व बरहों से किसान परेशान , किसानी करना हुआ मुश्किल

रायपुर। एक ओर तो केन्द्र व राज्य सरकार खेती व किसानों के हित में कथित नित नयी योजनाये बना किसानों का आय दुगनी करने का इरादा जाहिर कर रही है तो दूसरी ओर आवारा मवेशियों , बंदरों व बरहों की वजह से किसानों को किसानी कर पाना दिनोदिन मुश्किल होता चला जा रहा है । मुहबाये खड़े इस समस्या से किसानों को निजात दिलाये बिना किसानों को खुशहाल बनाने की सरकारी बातें बेमानी है । किसान संघर्ष समिति के संयोजक भूपेन्द्र शर्मा ने केन्द्र व प्रदेश सरकार से खेती बचाने इस समस्या से किसानों को निजात दिलाने प्रभावी योजना बना फौरी अमल की मांग की है ।

संसद व विधानसभा में किसानों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने का दावा करने वाले राजनैतिक दलों सहित प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधियों की इस आधारभूत समस्या को अनदेखा किये जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुये श्री शर्मा ने कहा है कि गांव – गांव पहुंच रहे आवारा मवेशियों की वजह से किसानों को खेतों में खड़ी अपनी फसल बचा पाना मुश्किल हो चला है और खासकर उन्हारी फसल । किसानों द्वारा बोझ मान छोड़े जाने वाले इन आवारा मवेशियों को खेती के आठ माहों में एक ग्राम से दूसरे ग्राम खदेड़े जाने व फसल बचाने ग्रामों के बीच तनातनी होने की जानकारी देते हुये उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा बनाया गया गोठान योजना इस दिशा में एक अच्छा पहल है पर प्रदेश के ग्रामों व प्रति ‌‌‌‌‌‌‌वर्ष बनाये जा रहे गोठानो की संख्या को देखते हुये इस योजना के सफलीभूत होने में कई पंचवर्षीय लगने की संभावना है और इस दरम्यान पहुंचने वाले इन आवारा मवेशियों से हताश किसान खेती से भी विमुख हो सकते हैं । उन्होंने आगे बतलाया है कि खरीफ धान की फसल पूरे प्रदेश में लिये जाने के कारण बिखरे इन मवेशियों का दबाव कम रहता है पर उन्हारी व ओल्हा फसल का रकबा कम होने की वजह से ऐसे बोनी करने वाले ग्रामों में इनका दबाव बढ़ जाता है और किसानो को फसल बचा पाना मुश्किल हो जाता है । इसके चलते कई ग्रामो में उन्हारी फसल लेना‌ भी छोड़ना शुरू किये जाने की जानकारी उन्होंने दी है । विशेषकर नदी व नालों के किनारे बसे ग्रामों में बंदरों व बरहों ( जंगली सूअर ) का आतंक होने की जानकारी देते हुये उन्होंने बतलाया है कि इनके आतंक के चलते किसान उन्हारी व सब्जी की फसल भी नहीं ले पा रहे हैं और ग्रामों में बंदरों का आतंक तो इतना अधिक हो चला है कि ग्रामीण विवशतावश अब पक्का मकान बनाने में लगे हैं । खेती को नुकसान पहुंचाने वाले बरहा को केन्द्र सरकार द्वारा संरक्षित वन्य प्राणी घोषित कर दिये जाने के कारण इसका वध कर दिये जाने पर ग्रामीणों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हो जाने की जानकारी देते हुये उन्होंने बतलाया है कि इस मजबूरी के चलते किसान बेबसी से इन्हें फसल को नुकसान पहुंचाते देखते रहना पड़ता है । उन्होंने केन्द्र व राज्य सरकार से आग्रह किया है कि खेती बचाने बंदरों व बरहों को नजदीकी जंगलों में छुड़वाने व आवारा मवेशियों से फसल बचाने प्रत्येक ग्राम का फेन्सिग कराने वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की विशेष योजना बना त्वरित अमल में लाने की व्यवस्था करावे ताकि किसान इनके नुकसानी से राहत पा सकें ।

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