जगदलपुर। सीपीआइ माओवादी (प्रतिबंधित) के बड़े नेता जंगल में मंगल की स्थिति में रहते हैं। वे निचले कैडर के गुरिल्लाओं को इस्तेमाल के लिए सस्ते जूते और घटिया सामान देते, जबकि खुद ब्रांडेड जूते और महंगे ब्रांड की चीजों का उपयोग करते हैं।
बीते शुक्रवार को छत्तीसगढ़ व ओडिशा सीमा पर चांदामेटा में हुई मुठभेड़ के बाद बरामद सामान से यह बात उजागर हुई है। पुलिस को यहां ब्रांडेड कंपनियों के जूते, फिल्टर वाटर, हर्बल साबुन व अन्य सामान मिले हैं। इससे साम्यवाद के नाम से झंडाबरदारी करने वाले नक्सलियों के चाल, चरित्र व चेहरे में विरोधाभाष नजर आता है।
शुक्रवार को सुकमा जिले के तुलसीडोंगरी से पहले चांदामेटा के जंगल में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में एक महिला नक्सली मारी गई थी। इस दौरान मौके की सर्चिंग में पुलिस ने एके-47, इंसास, पिस्टल समेत ब्रांडेड हर्बल उत्पाद, साबुन, टूथपेस्ट, शैम्पो, ब्रांडेड मिनरल वाटर, जूते आदि बरामद किए हैं।
नक्सल मामलों के जानकारों के अनुसार नक्सली नेता पूंजीवाद की मुखालफत व साम्यवाद की वकालत भोली जनता को महज क्रांति की घुट्टी पिलाने के लिए करते हैं। असल में पहले पंक्ति के नक्सल लीडर भौतिक सुख-सुविधाओं में लिप्त रहते हैं। इसके विपरीत बस्तर के स्थानीय लड़ाकों को न्यूनतम सुविधाएं ही मुहैया करवाते हैं। बता दें कि स्थानीय आदिवासी युवक नक्सल संगठन में एरिया कमेटी से ऊपर प्रमोट नहीं किए जाते। केंद्रीय नेतृत्व में केवल आंध्र, तेलंगाना व दीगर राज्यों के ही नक्सली हैं।
मुठभेड़ के बाद सामान बरामद किए गए। सामान काफी महंगे और ब्रांडेड हैं। दीगर राज्यों के नक्सली नेता बस्तर के आदिवासी युवाओं को गुमराह कर उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। मोर्चे पर बड़े नेता तो पीछे होते हैं जबकि स्थानीय सदस्यों को मरने के लिए फ्रंट पर रखते हैं। नक्सली बस्तर में स्कूल तोड़ते हैं। बच्चों को शिक्षा से वंचित कर उन्हें बाल संघम में भर्ती करते हैं, लेकिन खुद के बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाते हैं। उनकी कथनी और करनी में अंतर है। कोरोनाकाल में बड़े कैडर के नेताओं का इलाज नक्सलियों ने आंध्र प्रदेश के बड़े अस्पतालों में करवाया, जबकि लोकल कैडर को मरने के लिए छोड़ दिया।