मुख्यमंत्री ने कहा- अधिक से अधिक संख्या में स्थापित की जाएं लघु वनोपजों के प्रसंस्करण की इकाईयां
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लघु वनोपजों का काम कर रही स्व-सहायता समूहों की आय में वृद्धि के लिए लघु वनोपजों पर आधारित प्रसंस्करण इकाईयों की अधिक से अधिक संख्या में स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में प्रचुर मात्रा में बहुमूल्य लघु वनोपजों के साथ प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना के लिए मानव संसाधन, भूमि भी उपलब्ध हैं।
इस दिशा में कई जिलों में अच्छा काम हुआ है। दंतेवाड़ा में सफेद अमचूर का उत्पादन किया जा रहा है। इसकी बिक्री 600 रुपए प्रति किलो की दर पर की जा रही है। छत्तीसगढ़ में आम की अच्छी फसल होती है, अन्य जिलों में भी सफेद अमचूर के उत्पादों को बढ़ावा दिया जा सकता है। प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना से लोगों को रोजगार मिलेगा व उनकी आमदनी बढ़ेगी।
अधिकारियों ने बताया कि लघु वनोपजों के प्राथमिक प्रसंस्करण के लिए राज्य में 139 वन धन विभाग केन्द्र स्थापित किए गए हैं। प्रसंस्करण कार्य में 1324 समूहों के अंतर्गत 17 हजार 424 महिलाएं काम कर रही हैं। लघु वनोपजों के प्राथमिक प्रसंस्करण से महिला स्व-सहायता समूहों को लगभग 1 करोड़ 91 लाख रुपए की आमदनी हुई है।
इमली के प्राथमिक प्रसंस्करण कार्य में लगे 21 हजार 582 हितग्राहियों को 2 करोड़ 69 लाख रुपए का वितरण किया जा चुका है। वर्ष 2020-21 में 7 करोड़ 36 लाख रुपए के 120 प्रकार के हर्बल उत्पाद तैयार की गई है। वर्ष 2020-21 में छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड के नाम सवा करोड़ रुपए के हर्बल उत्पादों का विक्रय किया गया। ट्राइबल फूड पार्क- ट्रायफूड योजना के अंतर्गत कवर्धा जिले में शहद प्रसंस्करण और सूरजपुर में कटहल प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना के प्रयास किए जा रहे हैं।
दुर्ग जिले के पाटन में वनौषधियों के प्रसंस्करण, इमली के प्रसंस्करण के लिए इंटीग्रेटेड इकाई, जामुन, बेल, आंवला से जूस तैयार करने की इकाई, बटन लाख के उत्पादन के लिए प्लांट और परफ्यूम इंडस्ट्रीज में उपयोग में आने वाली हर्बल एक्सट्रेट तैयार करने की इकाई स्थापित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों से कहा कि बांस से ट्री-गार्ड का निर्माण स्व-सहायता समूहों के माध्यम से कराया जाए। इससे काफी लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं।