महिला आयोग की त्वारित कार्यवाही, युवती कि फोटो सोशल मीडिया में वायरल करने वाला आरोपी गया जेल
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित प्रकरणों पर आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक ने सुनवाई की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका जो कि छत्तीसगढ़ी युवा महिला कलाकार के फोटो को निकलवाकर वायरल कर, महिला को बदनाम करने और उसे गांव परिवार के बीच अपमानित किया जिसके कारण पीड़िता महिला की नौकरी भी चली गई और अनावेदक के द्वारा सोशल मीडिया में फोटो वायरल करने से उसकी बदनामी भी हुई और आवेदिका की नौकरी भी छूट गई। आवेदिका ने अनावेदक के खिलाफ लिखित शिकायत दस्तावेज के साथ प्रस्तुत किया है जिसमें अनावेदक ने आवेदिका के फोटोग्राफ को सोशल मीडिया में वायरल किया है जिसके कारण आवेदिका के चरित्र को गांव में संदिग्ध माना जा रहा है। उसे आये दिन इन फोटो को दिखा-दिखाकर आवेदिका को किसी लड़के के साथ भाग जाना, लगातार बदनाम किया जाना अनावेदक ने स्वीकार किया है कि उसने 1 बार आवेदिका के पिता के पास यह फोटो भेजी थी जबकि आवेदिका का कथन है कि यह कई बार ऐसा कर चुका है। आवेदिका ने यह भी बताया कि थाना मंदिर हसौद में आवेदन दिया था । जिस पर कोई कार्यवाही न किया जाकर न्यायालय जाने को कहा गया। इस स्तर पर आयोग के अध्यक्ष द्वारा थाना मंदिर हसौद के टी.आई. से टेलीफोन पर बात किया गया, आयोग के दस्तावेज आवेदिका को देकर टी.आई. के समक्ष उपस्थित होने कहा गया। यह प्रकरण आगामी माह में थाने द्वारा, आयोग को की गई कार्यवाही से अवगत करायेंगे जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।
इसी तरह एक अन्य प्रकरण में अनावेदक किसी भी तरह से आवेदिका एवं उनके बच्चों को भरण-पोषण पढ़ाई लिखाई का खर्चा नहीं देता है, आवेदिका जैसे-तैसे काम कर खर्चा चला रही है। आयोग के अध्यक्ष द्वारा समझाइश देेने पर प्रतिमाह 4,000 रूपये आवेदिका एवं उनके बच्चों को देने को तैयार है, पर उसके बाद भी आवेदिका को अनावेदक पर भरोसा नहीं होने के कारण संबंधित स्थानीय पार्षद के कार्यालय में नियमित रूप से 4,000 प्रतिमाह भरण-पोषण आवेदिका को देगा। अनावेदक द्वारा आनाकानी किए जाने की स्थिति में उनके खिलाफ कार्यवाही की अनुशंसा स्थानीय पार्षद द्वारा आयोग कार्यालय को भेज सकेंगे। स्थानीय पार्षद से टेलीफोन में आयोग की अध्यक्ष ने चर्चा किया जिस पर पार्षद द्वारा सहमति दी गई है।
एक अन्य प्रकरण में पति-पत्नी के आपसी विवाद का मामला था आवेदिका द्वारा आयोग को अवगत कराया गया कि हमारा मामला न्यायालय में विचाराधीन है। जिससे इस प्रकरण को निराकृत किया गया प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदिका का 8 वर्ष पूर्व शादी हुुई है शादी के बाद से ही अनावेदिका अपने मायके में ही रही है, अब आवेदिका और उनका बेटा अनावेदिका के साथ नहीं रहना चाहती है। अनावेदिका ने बताया कि शादी के बाद से ही पति का व्यवहार अच्छा नहीं था। प्रतिदिन मारपीट, गाली गलौच करते रहते थे, जब वह गर्भवती थी तभी उन्हें घर से निकाल दिया गया। मायके में बेटी का जन्म हुआ, पति ने कभी खोजखबर नहीं ली और दूसरी औरत को घर बैठा लिया। अब उसकी मृत्यु हो चुकी है तब मेरा पति मुझे ले जाना चाहता हैं, परन्तु मैं नहीं जाना चाहती और उसने आयोग को कहां कि मैं अपने पति से तलाक लेना चाहती हूं। इस पर पति द्वारा कहा गया कि आपसी समझौते से तलाक ले लेंगे। इस तरह इस मामले को निराकृत किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका उपस्थित, अनावेदिका लगातार अनुपस्थित रही है और वे आवेदिका की बहु है अनावेदिका और आवेदिका के पुत्र की मृत्यु के पश्चात् से दूसरी शादी कर ली है। आवेदिका के पुत्र से अनावेदिका के एक बेटा है जों कि आवेदिका के परिवार का इकलौता वारिस है उसे मिलने व देखने का हक आवेदिका को है, इसलिये आयोग में आवेदन प्रस्तुत किया है। अनावेदिका की मां एवं अनावेदिका के दूसरे पति एवं सास-ससुर को भी आयोग के समक्ष उपस्थित करायें जाने की बात कही है जिससे प्रकरण का निराकरण किया जा सके।
एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित मामला गांव के होने के कारण गांव के सरपंच को अपने गांव में शांति व्यवस्था रखने हेतु आवेदिका एवं उनसे संबंधित व्यक्तियों को आयोग के आगामी सुनवाई में उपस्थिति दर्ज कराने को कहा गया।
एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष एक साथ रहकर अपना दाम्पत्य जीवन निर्वहन करने की बात कहा गया उभय पक्षों को स्थानीय पार्षद व वकील के माध्यम से तीन माह की निगरानी में रखा गया है। प्रकरण को तीन माह बाद आवेदिका के सहमति से निराकृत किया जायेगा। आज महिला आयोग की जनसुनवाई में 25 प्रकरण रखे गये थे, जिससे 18 प्रकरणों पर सुनावाई की गई जिसमें से 5 प्रकरणों को तत्काल निराकृत किया गया तथा शेष प्रकरणों की सुनवाई आगामी जन-सुनवाई में की जाएगी।