राजधानी में बंपर मुनाफे का जरिया बन गई है ‘बांस की खेती’, बिना खाद-पानी के हो रही लाखों में कमाई
नई दिल्ली| आज के समय में किसान फसलों का चुनाव उससे होने वाले मुनाफे के हिसाब से करते हैं| यहीं कारण है कि बांस की खेती का चलन बढ़ रहा है आज देश में बड़े पैमाने पर किसान बांस की व्यावसायिक खेती कर रहे हैं| घटते वन क्षेत्र और लकड़ी के बढ़ते प्रयोग को कम करने के लिए बांस काफी मददगार है इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकारी नर्सरी से पौध निशुल्क दिए जाते हैं|
बांस की करीब 136 प्रजातियां है\ भारत में 13.96 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र पर बांस लगे हुए हैं, लेकिन व्यावसायिक रूप से खेती करने के लिए और अलग-अलग काम के लिए अलग-अलग बांस की किस्में लगाई जाती हैं लेकिन उनमें से 10 तरह की किस्मों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है| केंद्र सरकार की मंशा किसानों को बांस के उत्पादन के लिए प्रेरित कर के बांस के सामान और बांस के निर्यात को बढ़ावा देना है|
दुनिया में बांस उत्पादन के मामले में अग्रणी होने के बावजूद भारत का निर्यात न के बराबर है| देश में बांस की खेती के प्रसार को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार 2014 से इस पर लगातार काम कर रही है| बांस की खेती करने के लिए इसकी नर्सरी तैयार कर पौध लगाई जाती है| बांस की नर्सरी ऐसी जगह पर बनानी चाहिए, जहां आसानी से आना जाना हो सके|
साथ ही पानी की व्यवस्था भी हो. दोमट मिट्टी, जिसका पीएच मान 6.5 से 7.5 हो, उसे नर्सरी लगाने के लिए उपयुक्त माना जाता है| नर्सरी तैयार करने के लिए मार्च माह सबसे अच्छा माना जाता है| बीजों को छह माह से एक साल तक भंडारित किया जा सकता है| बुवाई करने से पहले गहरी जुताई कर के क्यारियां बनाकर बीज बोना चाहिए और हल्की सिंचाई करनी चाहिए|
लगातार मुनाफा देने वाली फसल है बांस
बांस लगातार मुनाफा देने वाली फसल है| इसे खेतों में उगाकर कृषि से अधिक पैसा कमाया जा सकता है| एक हेक्टेयर के खेत में 625 पौधे चार से चार मीटर की दूरी पर उगाकर पांचवें वर्ष से 3125 बांस हर साल लिए जा सकते हैं|
वहीं किसान आठवें साल से 6250 बांस प्रतिवर्ष उपज ले सकते हैं और इसे बेचकर किसान 5 से 7 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर मुनाफा कमा सकते हैं| किसान दोहरे मुनाफा का लिए बांस के साथ अन्य कृषि फसलों को भी लगा सकते हैं| बांस के साथ अदरक, हल्दी, आम, सफेद मुस्ली या इसी तरह की अन्य फसलें उगाकर 20 से 50 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त कमा सकते हैं|
बांस उगाने के लिए किसी भी प्रकार के उर्वरक की जरूरत नहीं होती| इसके अलावा किसी भी प्रकार के कीटनाशक की जरूरत नहीं होती| बांस का पौधा भूमि संरक्षण का कार्य भी करता है| यह भूमि का कटाव रोकता है| एक बार पौधा स्थायी हो जाए तो यह तब तक नहीं मरता, जब तक यह अपनी आयु पूरी न कर ले| यह वायुमंडल से 66 प्रतिशत अधिक कार्बन डाईऑक्साइड सोखता है और बदले में इतना प्रतिशत ही अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है|