छत्तीसगढ़ में अब तेंदु फल से भी बनेगा जूस, स्वास्थ्य के लिए बेहतर
रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वानिकी विभाग ने तेंदु फल पर नई पहल की है। अब तेंदु फल से जूस भी बनाया जाएगा। विश्वविद्यालय के वानिकी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. आरके प्रजापति और पीएचडी शोधार्थी चंद्रशिखा पटेल ने राज्यपाल अनुसुईया उइके से विगत दिनों मुलाकात में यह जानकारी दी। वहीं, राज्यपाल ने अनुसंधान पर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया गया, जो रोजगार प्रदान करेगा। ज्ञात हो कि तेंदुपत्ता जिसे आमतौर पर लोग बीड़ी पत्ता के नाम से जानते हैं।
इससे छत्तीसगढ़ को प्रतिवर्ष लगभग 1000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है और साथ ही वनवासियों को रोजगार भी मिलता है। डॉ. आरके ने बताया कि तेंदु फलों से जूस का निर्माण कैसे किया जाए इस पर कुल 10 उपचार के साथ आरटीएस और 10 उपचार नेक्टर बनाने के लिए उपयुक्त रेसिपी का निर्माण लगभग 30 माह की मेहनत से सफल हुआ।
उन्होंने बताया कि तेंदु जूस निर्माण के लिए फल प्रसंस्करण इकाइयों को यह तकनीक विश्वविद्यालय हस्तांतरित करने की योजना पर कार्य करेगा। जानकारी के मुताबिक लाखों टन तेंदु फल वनों में ही सड़ जाते हैं। वनों से आदिवासी कुछ फल एकत्र कर बाजार में बहुत ही कम कीमत पर बेच कर जीवनयापन करते हैं। अत्यधिक मात्रा में बाजार तक यह फल नहीं पहुंचने से जंगल में यह फल सड़ कर नष्ट हो जाते हैं।
इस पर गहन शोध कर इस फल से जूस निकालने की कुशल विधि खोज ली है। उम्मीद है कि जल्द ही बाजार में तेंदु फल का जूस लोगों को मिलने लगेगा, जो स्वास्थ्य के लिहाज से काफी बेहतर होता है।