बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में मिशनरियों ने प्रार्थना, दवाई और पढ़ाई को धर्मान्तरण का बड़ा जरिया बना लिया है। रायपुर में संचालित अवैध बालगृह के जरिये चलाए जा रहे मतांतरण के खेल का पर्दाफाश होने के दौरान मिले साक्ष्य से इसको और बल मिला है। उधर, मतांतरण की मिल रहीं शिकायतों के बीच प्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अनुषांगिक संगठन धर्मजागरण मंच ने भी सक्रियता बढ़ा दी है।
मंच के बैनर तले घर वापसी अभियान चलाया जा रहा है। मंच की पड़ताल में यह स्पष्ट हुआ है कि मिशनरी और उनके धर्म प्रचारक गरीब और बीमार के अलावा ऐसे लोगों को जाल में फंसा रहे हैं, जिनके बच्चे पढ़ाई तो करना चाहते हैं, पर आर्थिक तंगी के कारण स्कूल या कालेज नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे परिवार को मदद देकर धर्मान्तरण करवाया जाता है।
मिशनरी और उनके धर्म प्रचारक मदद के बहाने धीरे-धीरे परिवार के सदस्यों के बीच अपनी गहरी पैठ बना लेते हैं। इस खेल में उनके धर्म प्रचारक इतने कुशल हैं कि जिसका धर्मान्तरण कराते हैं, उसके पड़ोसी को कानोकान भनक तक नहीं लगती है। खासकर उनका लक्ष्य अनुसूचित जाति के अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग होते हैं।
मिशनरियों की ओर से जरूरतमंद लोगों को बनाया जा रहा निशाना
छत्तीसगढ़ के मस्तूरी बेलतरा और कोटा विधानसभा क्षेत्र में इनकी सक्रियता और पकड़ मजबूत हो रही है। ढेका, खैरा और जयरामनगर जैसे इलाके में भी गहरी पैठ बना ली है। कोरोना संक्रमणकाल में प्रार्थना सभा और मदद के बहाने गांव-गांव में इनकी सक्रियता और बढ़ी है। शहरी इलाकों में उन क्षेत्रों को ये अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाते हैं, जहां गरीबों की संख्या अधिक होती है या फिर समाज से बहिष्कृत होते हैं।