रायपुर में कछुआ के नाम से प्रसिद्ध है सोरोना गांव में स्थित 250 साल पुराना शिव मंदिर
रायपुर। पचपेड़ी नाका और रायपुरा चौक से टाटीबंध की ओर जाने वाले रिंग रोड नंबर एक के बीच स्थित है सरोना गांव। इस गांव में 250 साल पुराना शिव मंदिर है। पंचमुखी शिवलिंग और भक्त क्रीत मुख देव का सिर प्रतिष्ठापित है। साथ ही भगवान शंकर की गोद में बालक रूप में श्रीगणेश लेटी हुई अवस्था में हैं। यहां भोलेनाथ के साथ भक्त की भी पूजा होती है। परिसर में संत तुलसीदास का भी मंदिर है।
संपूर्ण परिसर दो तालाबों के बीच बना हुआ है। इस मंदिर के नीचे से तालाब का पानी बहता है। कछुआ वाले शिव मंदिर के नाम से यह प्रसिद्ध है। यहां 100 साल से अधिक उम्र के दो कछुओं समेत अनेक कछुओं का निवास है। इसे देखने के लिए मंदिर में श्रद्धालु घंटों तालाब के किनारे इंतजार करते हैं।
कहा जाता है कि 14 गांव के मालिक स्व.गुलाब सिंह ठाकुर नि:संतान थे। सरोना गांव के आसपास जंगलों में नागा साधुओं ने डेरा जमाया था। स्व.ठाकुर ने संतान प्राप्ति के लिए अनेक मन्नत मांगी। साधुओं ने गांव के समीप तालाब खुदवाकर शिव मंदिर बनाने की सलाह दी। इसके बाद तालाब खुदवाकर वहां शिव मंदिर बनवाया। ऐसी मान्यता है कि इसके बाद उनकी संतान की मनोकामना पूरी हुई। आज भी इस मंदिर में संतान प्राप्ति की कामना को लेकर पति-पत्नी आते हैं।
इस साल कोरोना नियमों के चलते एक बार में केवल पांच श्रद्धालुओं को ही जलाभिषेक की अनुमति है। प्रत्येक सोमवार को सुबह से दोपहर तक भजन-कीर्तन किया जाएगा। शाम को श्रृंगार किया जाएगा।
ऐसे पहुंचे मंदिर
बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से सरोना शिव मंदिर करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर है। किसी भी मार्ग से रायपुरा पुल तक आकर टाटीबंध जाने वाले मार्ग के बीच सरोना गांव में प्रवेश करना पड़ेगा। रिंगरोड से गांव के भीतर दो किलोमीटर का सफर करने के बाद मंदिर पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा सरोना रेलवे प्लेटफार्म और एम्स के पीछे से केवल दो किलोमीटर की दूरी पर मंदिर है।
मंदिर के तालाब में 100 साल से अधिक उम्र के कछुए हैं, इन कछुओं का दर्शन करना सौभाग्यशाली माना जाता है। इस साल कोरोना नियमों के चलते भीड़ को रोकने विशेष व्यवस्था की गई है।