राजधानी में नरवा उपचार से जल संग्रहण बढ़ा और मिट्टी कटाव रुका
रायपुर। जमुनईया नाला जिले के विकासखंड तिल्दा-नेवरा के ग्राम पंचायत चिचोली के आश्रित ग्राम गौरखेड़ा से निकलकर ग्राम पंचायत मोहगांव के आश्रित ग्राम मोहदी तक बहता है, जिसकी कुल लंबाई 23.5 किमी है। नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना अंतर्गत नरवा विकास कार्यक्रम में प्रथम चरण में जमुनईया नाला का चयन कर कई कार्य कराए गए। अब धीरे-धीरे इस नाला में पानी का संग्रहण बढ़ने लगा है और इसे पुर्नजीवन मिला है।
जमुनईया नाला के अंतर्गत 12,993 हेक्टेयर जल ग्रहण क्षेत्र आता है। इसके जल ग्रहण क्षेत्र में आने वाले ग्रामों में नरवा उपचार के लिए 101 संरचना प्रस्तावित किए गए। इस नाला के समीप कई कृषक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपनी कृषि एवं कृषि आधारित कार्यों में इस पर निर्भर रहते है। नरवा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत ड्रैनेज लाइन ट्रीटमेंट एवं एरिया ट्रीटमेंट के लिए विभिन्न संरचनाओं का निर्माण किया गया है।
ग्राम पंचायत छतौद एव सिरवे के इसके सहायक नरवा में लूज बोल्डर चेकडेम एवं अर्दन गली प्लग का निर्माण किया गया, जिससे बहते जल की गति को धीमा कर मिट्टी के कटाव को कम करने में मदद मिली। ग्राम पंचायत कोहका के ग्राम घुलघुल में डबरी का निर्माण करवाया गया। इसमें करीब 5250 घन मीटर वर्षा जल संग्रहण होता है जो आसपास के मृदा की नमी को बढ़ाता है।
ग्राम पंचायत छतौद में परकोलेशन टैंक का निर्माण कराया गया। यह भी बहते पानी को संग्रहण कर भू-जल के स्तर को रिचार्ज करता है। ग्राम पंचायत सिरवे में मिट्टी कटाव को रोकने के लिए 600 नग फलदार एवं छायादार पौधों का रोपण कराया गया। यह पौधे भी ना केवल मिट्टी के कटाव को रोकेंगे बल्कि भविष्य में ग्रामवासियों को आजीविका का साधन बनेंगे।