छत्तीसगढ़

राजधानी में अब नगर निगम की दुकानें फ्री-होल्ड करने की तैयारी, दुकानदार होंगे मालिक

रायपुर। व्यावसायिक संपत्ति को फ्री होल्ड करने के बाद अब नगर निगम के सभी व्यावसायिक कांप्लेक्स की दुकानों को फ्री होल्ड करने की तैयारी चल रही है। नगर निगम इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर रहा है। पिछले दिनों ही विशेष योजना के तहत गोलबाजार के 900 सौ से अधिक दुकानदारों को उनकी दुकानों का मालिकाना हक देने की कार्रवाई अंतिम चरण में है। वहीं, निगम सीमा में बनीं सभी पुरानी और नई दुकानों की रजिस्ट्री लीज होल्ड के बजाय अब फ्री होल्ड की जाएगी। इससे दुकानदारों को निगम को किराया नहीं देना पड़ेगा और अपनी दुकान बेच सकेंगे।

जानकारी के मुताबिक हाउसिंग बोर्ड और रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) की तरह अब नगर निगम भी अपनी दुकानों को फ्री होल्ड करने की तकनीकी प्रक्रिया पूरी करने में जुटा हुआ है। यह काम पूरा होते ही नगर निगम प्रशासन लोगों से फ्री होल्ड के लिए आवेदन मंगवाएगा। फ्री होल्ड की अलग से रजिस्ट्री होगी और उसके बाद दुकानदार ही अपनी दुकानों के मालिक बन जाएंगे।

अब तक किसी भी योजना में किराए पर दुकान लेने वाले निगम के किराएदार कहलाते रहे हैं। दुकानदारों को हर महीने निगम को किराया देना पड़ता है। अपनी दुकान में किसी भी तरह का निर्माण वे बिना निगम की अनुमति लिए नहीं कर सकते थे, लेकिन दुकान फ्री होल्ड होने से दुकानदारों को हर महीने किराया देने से मुक्ति तो मिलेगी ही वे दुकान के खुद मालिक होंगे। केवल उन्हें संपत्ति कर देना होगा।

नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि शहर में निगम ने कई कांप्लेक्स और दुकानें बनाई हैं। यह सभी शासन की जमीन पर बनी है। निगम सीमाक्षेत्र में होने के कारण निगम ने दुकानें तो बना ली है, लेकिन दुकान बेचने का अधिकार नहीं है। लिहाजा, शासन की अनुमति के लिए प्रस्ताव तैयार किए गए है। प्रक्रिया के तहत निगम को ऐसे सभी कांप्लेक्स की जमीन को शासन से एक रुपये टोकन पर जमीन हस्तांतरित करवाना पड़ेगा।

अपने नाम पर जमीन होने के बाद ही नगर निगम प्रशासन दुकानों को काबिज कारोबारियों के नाम पर फ्री होल्ड कर सकेगा। फ्री होल्ड नियम के अनुसार संपत्तियों को बेचने से मिलने वाले राजस्व का 25 फीसद शासन को देना होगा। उदाहरण के तौर पर अगर किसी कांप्लेक्स में दस दुकानें हैं और हर दुकान की कीमत 10 लाख रुपये है। इन संपत्तियों को बेचने पर निगम को एक करोड़ मिलेंगे। इसमें से 25 लाख राज्य शासन को राजस्व देना होगा। हालांकि, अभी यह सिस्टम लागू नहीं है। दुकानों को बेचने से मिलने वाली आय का कुछ भी हिस्सा निगम प्रशासन शासन को नहीं दे रहा है।

गोलबाजार उदाहरण

शहर के सौ साल पुराने गोलबाजार को विशेष योजना के तहत वहां के दुकानदारों को मालिकाना हक देने का ऐतिहासिक फैसला निगम की सामान्य सभा में पारित किया जा चुका है। गोलबाजार की जमीन को शासन से एक रुपये टोकन पर हासिल किया जा चुका है। निगम के नाम दुकान होने के बाद वहां के दुकानदारों को मालिकाना हक देने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जल्द ही दुकानों की रजिस्ट्री कर दी जायेगी।

कांग्रेस की सरकार ने गोलबाजार की लीज की दुकानों का मालिकाना हक दुकानदारों को देने का फैसला लिया है। इसी तरह हाउसिंग बोर्ड और आरडीए की तर्ज पर निगम के कांप्लेक्स में बनी दुकानों को फ्री होल्ड करने का प्रस्ताव आया है। एमआइसी की बैठक में इस पर सहमति बनने के बाद ही दुकानों को फ्री होल्ड करने की कार्रवाई की जा सकेगी।

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