राजधानी में श्रीकृष्ण पर आधारित आनलाइन कला प्रदर्शनी में विविध रूपों को दिखाया
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जन्माष्टमी के मौके पर भगवान श्रीकृष्ण पर आधारित अनेक रूपों वाली चित्रकला प्रदर्शनी का आनलाइन उद्घाटन महाकौशल कला परिषद की फेसबुक आइडी पर किया गया। इसका अवलोकन 3 सितंबर तक किया जा सकता है। महाकौशल कला परिषद के प्रवीण शर्मा ने बताया कि 73 वीं अखिल भारतीय – मुरलीधर कृष्ण कला
प्रदर्शनी-2021 का उद्घाटन किया गया। इसमें 50 चित्रों का चयन किया गया है। आनलाइन कला प्रदर्शनी का उद्घाटन डा. विमल कानुनगो ने आनलाइन किया। मुख्य अतिथि ने कहा कि मुरलीधर श्रीकृष्ण पर आधारित कला प्रदर्शनी में बांसुरी का बेहतर चित्रण हुआ है। बांसुरी श्री राधा जी की सौत जान पड़ती है, और वे उसे श्री कृष्ण से छिपातीं हैं।
कला प्रदर्शनी केपी शर्मा महाकोशल ललित कला महाविद्यालय रायपुर, पर्यावरण ग्रीन सोसायटी, शासकीय नागार्जुन स्नातकोत्तर विज्ञान महाविद्यालय, लायंस क्लब रायपुर फ्रेंड्स के सहयोग से प्रदर्शनी में चित्रों को प्रस्तुत किया गया है। इन चित्रों को पेन, चारकोल, पेंसिल से बनाया गया है। साथ ही फोटोग्राफ (श्वेत-श्याम, रंगीन, मोनोक्रोम) धातु, मिट्टी, लकड़ी,प्लास्टर, पेपर मैशी, रेत, धान, दाल, चावल, गेहूं, फल से निर्मित चित्र भी हैं।
इस कला प्रदर्शनी का विषय भगवान श्रीकृष्ण के मुरलीधर रूप की अभिव्यंजना पर रचनाएं पेश की गई हैं। मुरली की धुन सुन राधा, गोपिकाएं, बृजवासी, मथुरावासी सुधबुध खो देते थे, बांसुरी के स्वर में सम्मोहन था। यह कला प्रदर्शनी प्रकृति एवं कृष्ण के अंतर संबंधों को कैनवास पर अभिव्यक्त करती प्रदर्शित की गई है। कला प्रदर्शनी में कलाकार गोपाल नासकर (कोलकाता), भगोनी बाई एवं तुलसी बाई (सरगुजा) से, अजय तिवारी (अहमदाबाद) से, मनीष महानंद (मुंबई) के चित्रों को प्रदर्शित किया गया है।
छत्तीसगढ़ के कलाकार प्रोफेसर कल्याण प्रसाद शर्मा की रचना कालिया मदन, बी.एम.नहरगढकर की माखन चोरी की रचनाएं, श्याम निनोरिया की भगवान जगन्नाथ की तैल रचना, डा. प्रवीण शर्मा की जलरंग रचना, तुषार वाघेला (दुर्ग) की जलरंग रचनाएं, रायगढ़ के कंदर्प कर्ष की स्याही निमित रचना, हनी लच्छवानी, ओजस्वी मालु, दिशा ठाकुर की पेस्टल रचनाएं, समवेद शर्मा की कम्प्यूटर ग्राफिक्स रचना, शांभवी शर्मा की पेस्टल रचना, डा.शिखर शर्मा की मिश्रित माध्यम रचना, अजय देशकर की डाईंग रचना, देवदत्त पाध्ये की जलरंग रचनाएं प्रदशित है।