छत्तीसगढ़

रायपुर में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने का प्रयास

रायपुर। राज्य के गरीब से गरीब बच्चे को भी निजी स्कूलों की तरह अच्छी सुविधाएं दिलाते हुए गुणवत्तायुक्त शिक्षा दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन ने अभिनव पहल की है। इसके तहत स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को खोला गया है, जिसका मकसद अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करवाकर छात्रों को भावी प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करना है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में अवसरों की असमानता को दूर किया जा सकेगा और शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ावा मिलेगा।

इस पहल के तहत रायपुर जिले में स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय की नौ शाखाएं प्रारंभ की गई हैं। पं. आरडी तिवारी शासकीय इंग्लिश उत्कृष्ट विद्यालय आमापारा रायपुर की स्थापना सन् 2019 में की गई है। इस स्कूल में ख्याति प्राप्त निजी विद्यालयों की तरह ही शिक्षा व्यवस्था के साथ-साथ खेल-कूद और अन्य गतिविधियों को बच्चों को सिखाया जाता है। इससे उनमें कौशल का विकास होता है और वे आत्मविश्वासी बनते हैं। वर्तमान में इस विद्यालय में कक्षा पहली से लेकर बारहवीं तक 414 बालक और 345 बालिकाएं शिक्षा हासिल कर रही हैं।

शाला के प्राचार्य राकेश गुप्ता ने बताया कि स्कूल में बच्चों के समग्र शिक्षा के लिए आधारभूत सुविधाओं जैसे विशाल खेल परिसर, अत्याधुनिक पुस्तकालय, सुसज्जित साइंस लैब, अत्याधुनिक अध्ययन कक्ष एवं स्मार्ट क्लास आदि की व्यवस्था है। साथ ही बच्चों के शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक शिक्षा से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम शाला स्तर पर आयोजित किए जाते हैं। स्कूल में 37 शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक स्टाफ निरन्तर गुणवत्तायुक्त शिक्षण तथा अन्य गतिविधियों के लिए के लिये टीम वर्क के साथ कार्य कर रहा है।

बताते चलें कि इस स्कूल का नाम छत्तीसगढ़ के गौरवशाली प्रकाशकुंज पं. रामदयाल तिवारी पर है। उनका जन्म 23 जुलाई 1890 को रायपुर में एक शिक्षक परिवार में हुआ। शिक्षा के क्षेत्र में पं. रामदयाल तिवारी सक्रिय थे। रायपुर में छत्तीसगढ़ महाविद्यालय की स्थापना के लिये गठित समिति के संस्थापक सदस्य थे। वे मूलतः अंग्रेजी के लेखक थे। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समर्थ समालोचक, दार्शनिक एवं मौलिक समीक्षक थे। शिक्षा के स्वप्न को साकार करने के लिये उन्होनें आमापारा स्थित अपनी 2.50 एकड़ भूमि विद्यालय की स्थापना के लिये दी। उनका यह स्वप्न 22 जुलाई 1957 को साकार हुआ। जब इस विद्यालय की स्थापना तत्कालीन नगर पालिका परिषद् के अध्यक्ष श्री बुलाकी लाल पुजारी द्वारा की गई।

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