छत्तीसगढ़

प्रदेश में बिजली दरों का फिर से हो निर्धारण, उद्योगपतियों ने लगाई गुहार

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ के स्पंज आयरन और री रोलिंग मिल संचालकों का कहना है कि रोजगार देने के मामले में वे बहुत से बड़े उद्योगों से काफी आगे है। उसके बाद भी उन्हें बड़े-बड़े उद्योगों की तुलना में बिजली काफी महंगी मिलती है। इसके लिए उद्योगपतियों ने विद्युत नियामक आयोग में याचिका भी लगाई है और कहा है कि उन्हें भी सस्ती बिजली मिलनी चाहिए। पिछले दिनों मिनी स्टील प्लांटों को महंगी बिजली से राहत दी गई है।

छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी का कहना है कि रोजगार देने के मामले में छोटे उद्योग काफी आगे है। साथ ही सभी उद्योगों द्वारा जो उत्पाद बनाया जाता है, वह भी मूल रूप से समान रहता है। इसके बावजूद बिजली दरों के मामले में इतना भेदभाव किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री से भी गुहार लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि बिजली की दरों का निर्धारण एक बार फिर से होना चाहिए।

री-रोलिंग मिलों को नौ रुपये, मिनी स्टील प्लांट को 5.50 रुपये, कैप्टिव स्पंज आयरन उद्योगों को 7.25 रुपये,बड़े उद्योगों को सात रुपये का बिजली टैरिफ लग रहा है।

उद्योगपतियों से मिली जानकारी के अनुसार रोजगार दिलाने के मामले में छोटे उद्योग ही ज्यादा कामगार सिद्ध हो रहे है। री-रोलिंग मिलों से करीब 10 हजार लोगों को रोजगार मिलता है। मिनी स्टील प्लांट 30 हजार लोगों को रोजगार दे रहा है। स्पंज आयरन उद्योगों से 22 हजार 500 लोगों को रोजगार मिल रहा है,जबकि बड़े उद्योगों से करीब पांच हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है।

एनएमडीसी द्वारा लौह अयस्क की कीमतों में थोड़ी कमी की गई है। इससे उद्योगों को बड़ी राहत मिली है। सितंबर में लौह अयस्क के दाम 10338 रुपये प्रति हो गए है। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में लौह अयस्क की कीमतों में और गिरावट आ सकती है। लौह अयस्क के दाम कम होने से उद्योगों को भी राहत मिला है।

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