हाथी प्रभावित कॉरीडोर क्षेत्र के गज मित्र सदस्यों का एक दिवसीय कार्यशाला हुआ संपन्न
महासमुन्द। वनमंडल अंतर्गत महासमुन्द वन परिक्षेत्र एवं बागबाहरा वन परिक्षेत्र के अधिकारियों/कर्मचारियों, पुलसि एवं हाथी प्रभावित कॉरीडोर क्षेत्र के गज मित्र सदस्यों का एक दिवसीय कार्यशाला वनरक्षक प्रशिक्षण शाला में आयोजित किया गया। जिसमें हाथी-मानव द्वंद से होने वाले क्षति एवं उसके निदान पर विस्तृत चर्चा कर विचारों का आदान-प्रदान किया गया।
हाथी द्वारा जनहानि, जनघायल, फसल एवं संपत्ति की क्षति के रोकथाम के संबंध में वनमंडलाधिकारी पंकज राजपूत द्वारा बताया गया कि छ.ग. के जिन क्षेत्रों में वर्तमान में हाथी के उपस्थिति देखी जा रही है, इन हाथियों के पूर्वजों का 100 साल पहले से ही रहवास रहा है, जो किन्ही कारणों से अन्यत्र चले गये थे। हाथियों की स्मरण शक्ति और सुंघने की शक्ति बहुत ही प्रबल होती है। इनका परिवार का मुखिया मादा हाथी होती है और 10 से 12 साल के युवा नर शावक को मादा हाथी अपने दल से खदेड़ कर बाहर कर देती है। इस तरह नर हाथियों का एक अलग झुंड बन जाता है, जिसमें कुछ नर हाथी प्रजनन क्रिया के लिए मदमस्त हो जाते है और यही हाथी अकेला भटकते हुए मादा हाथियों के पास जाने का प्रयास करता है, मदमस्त हाथी की पहचान हाथी के कान और आंख के मध्य एक तरल द्रव्य निकलता है जिसे वह वृक्षों में लगाकर अपनी उपस्थिति मादा हाथी तक पहुंचाने का संदेश देता है। मदमस्त हाथी के रास्ते पर कोई भी आ जाये वो इतना उत्तेजित एवं अंहकारी हो जाता है कि रास्ते में आने वाले छोटे मोटे वृक्षों को भी उखाड़कर फेक देता है। जिसके कारण कुछ जनहानि की भी संभावना बढ़ जाती है। सबसे ज्यादा खतरनाक मदमस्त हाथी होता है, इसी तरह टस्कर हाथियों का समूह, अकेली मादा हाथी एवं बच्चे वाली मादा हाथी से भी खतरा रहता है।
हाथी अपनी बात या संदेश अपने दल तक पहुंचाने के लिए चिंघाडने, मौन आवाज निकालने, पैरों को पटकर संदेश पहुंचाने एवं अपने सुंड से दुसरे हाथियों को छुकर संदेश आदान-प्रदान का कार्य करते है। हाथियों में सुघने की शक्ति तीव्र होती है, जिनका प्रिय भोजन महुआ होता है। महुआ एवं महुआ से बने शराब की सुगंध हाथी कोसो दूर से सुंघ लेता है। जिसके कारण महुआ रखे हुए कच्चे मकानो को भी तोड़ देते है।
महुआ शराब सेवन किये हुए व्यक्ति तक महुआ शराब की सुगंध के कारण पहुंच जाता है, जो जनहानि का कारण बनता है। आज की कार्यशाला में विशेष रूप से हाथी प्रबंधन के तहत हाथी के क्षेत्र में विचरण की सूचना होने पर उसकी जानकारी, क्षेत्र में अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचाने के लिए वन विभाग, पुलिस विभाग, हाथी प्रभावित ग्रामीण क्षेत्र के गज मित्र सदस्यों का वनमंडल स्तर, परिक्षेत्र स्तर एवं बीट स्तर पर व्हाटसप ग्रुप के माध्यम से संदेश का आदान-प्रदान किया जावेगा जिससे हाथी-मानव द्वंद को कम किया जा सकें।
कार्यशाला को उप वनमंडलाधिकारी महासमुन्द एस.एस. नाविक, परिक्षेत्र अधिकारी बागबाहरा विकास चन्द्राकर, परिक्षेत्र अधिकारी महासमुन्द सालिकाराम डड़सेना, थाना प्रभारी तुमगांव रामावतार पटेल, थाना प्रभारी खल्लारी दीपा केंवट के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र से आये हुए हाथी मित्र दल के सदस्य लीलाधर सिन्हा, अनुज दीवान, नरेन्द्र साहू के द्वारा भी हाथी-मानव द्वंद को रोकने सकरात्मक सुझाव दिया गया जिसमें भीड़ के साथ हाथी देखने कभी न जाये, हाथी द्वारा दौड़ाने पर भगदड़ मचने से दुर्घटना की संभावना रहती है। हाथियों के प्रवास मार्ग को खाली छोड़ देना चाहिए, गांव के आस-पास हाथी आने की सूचना पर घर के सामने आग जलाकर रखना चाहिए, हाथियों को गुलेल, तिर या अन्य साधनों से कभी नहीं मारना चाहिए अन्यथा हाथी में बदला लेने की प्रबल संभावना होती है।
महुआ हड़ीया शराब न बनाये, ना पिये और ना ही घर में रखें। अनवश्यक पटाखों का प्रयोग ना करें, पटाखा एवं भीड़-भाड़ और चिल्लाने से हाथी उत्तेजित हो जाते है। लाल चटकदार कपड़ा पहनकर हाथी वाले क्षेत्र में ना जावें। हाथियों के लिए दिन का समय आराम का होता है उस समय उसे छेडछाड नहीं करना चाहिए।
हाथी के आचानक पास आ जाने पर बचने के लिए कोई भी कपड़ा, साल, धोती, कंगल, लुंगी, साड़ी उसकी तरफ फेक दे तो बचने की संभावना ज्यादा रहती है। कार्यशाला में बताया गया कि हाथियों की आने सूचना एवं किसी प्रकार की क्षति की जाने पर इस की सूचना वन विभाग को तत्काल दे, ताकि निर्धारित मुआवजा समय पर दिया जा सकें। कार्याशाला में लगभग 150 अधिकारी/कर्मचारी एवं ग्रामीणों के साथ ही मीडिया के साथी भी उपस्थित रहे।