छत्तीसगढ़ में कोरबा के पाम माल की घटना पहुंची हाई कोर्ट, संचालक ने दायर की याचिका
बिलासपुर। हाल ही में कोरबा के पाम माल में हुई घटना को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसमें पुलिस की एक पक्षीय कार्रवाई को चुनौती दी गई है। जिसमें पुलिसिया कार्रवाई को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता पक्ष की शिकायत साक्ष्यों के आधार पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई है। बिलासपुर निवासी अजय सोनी के भाई विजय सोनी कोरबा के पाम माल के संचालक हैं। अजय ने अधिवक्ता हिमांश शर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में क्रिमिनल अपील प्रस्तुत की है।
इसमें बताया गया है कि 22 अगस्त को तीन युवतियों व एक युवक ने पाम माल में हंगामा मचाते हुए तोड़फोड़ की थी। इस दौरान लड़कियों ने कर्मचारियों के साथ मारपीट भी की थी। लेकिन पुलिस ने इस मामले में एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए उनके कर्मचारियों के साथ ही माल संचालकांे के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था। इसके साथ ही पुलिस ने दुर्भावनावश बाद में इस मामले में एट्रोसिटी एक्ट की धारा जोड़कर कार्रवाई की थी।
याचिका में बताया गया है कि इस पूरे घटनाक्रम की वीडियो रिकार्डिंग है। दरअसल, माल में हर तरफ सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। जिसमें युवतियों की सारी गतिविधियां कैमरे में कैद है। जिसे देखकर पुलिस ने तस्दीक करने का प्रयास भी नहीं किया। बल्कि युवतियों की शिकायत पर झूठा आपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया गया। याचिका में आपराधिक प्रकरण्ा पर रोक लगाने, उसे निरस्त करने के साथ ही माल में उत्पात मचाने, तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।
दरअसल, युवतियों ने पुलिस से शिकायत कर बताया कि वे भूतिया घर का टिकट लेकर अंदर गए थे। इस दौरान माल के कर्मचारियों ने अंधेरे में उनके कपड़े फाड़ दिए और उनसे छेड़खानी की। युवतियों ने इस मामले में माल संचालक के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई। जिस पर पुलिस ने धारा 354 के तहत अपराध दर्ज किया। फिर बाद में इसी प्रकरण में जातिगत आधार पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया। याचिका में पुलिस द्वारा बेवजह एट्रोसिटी एक्ट लगाने को भी चुनौती दी गई है औ सुप्रीम कोर्ट के आदेश को न्याय दृष्टांत के रूप में प्रस्तुत किया है।
याचिका में बताया गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 166, 166ए और धारा 167 में प्रविधान है कि कोई भी लोक सेवक अपनी पद का दुस्र्पयोग करता है तो उनके खिलाफ उक्त धाराओं के तहत कार्रवाई की जाए। इस प्रकरण में पुलिसकर्मियों ने तथ्यों को छिपाकर बिना किसी जांच के माल संचालक व उनके कर्मचारियों के खिलाफ बेवजह आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। इससे स्पष्ट है कि उन्होंने अपने पद का दुस्र्पयोग किया है। लिहाजा, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए।
साक्ष्य अधिनियम का उल्लंघन
याचिका में यह भी बताया गया है कि पुलिस ने इस गंभीर प्रकरण में भारतीय साक्ष्य अधिनियम का भी उल्लंघन किया है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 बी के तहत तकनीकी साक्ष्य को आधार मानकर जांच की जानी चाहिए। लेकिन, इस मामले में भारतीय साक्ष्य अधिनियम को दरकिनार कर तकनीकी साक्ष्यों को आधार नहीं माना है। याचिका में उक्त प्रविधान के तहत मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।